बरेली (यूपी), 3 दिसंबर
उत्तर प्रदेश पुलिस ने धर्म परिवर्तन कानून के तहत अपनी पहली गिरफ्तारी की है। एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई है कि आरोपी उसकी बेटी को धर्म परिवर्तन के लिए पैसे का लालच देकर परेशान कर रहा है।
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नवंबर को उत्तर प्रदेश निषेध धर्म परिवर्तन अध्यादेश, 2020 को मंज़ूरी दी थी जिसके तहत जबरन या धोखेबाजी से धार्मिक धर्मांतरण के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है।
कानून में 10 साल तक की कैद और अलग-अलग श्रेणियों के तहत अधिकतम 50,000 रुपये का जुर्माना देने का प्रावधान है।
उप महानिरीक्षक राजेश कुमार पाण्नेडेय ने बताया कि नए कानून के तहत यह पहली गिरफ्तारी है। अभियुक्त ओवैस अहमद को बुधवार को यहां बहेड़ी क्षेत्र के रिचा रेलवे फाटक से गिरफ्तार किया गया। उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
अधिकारियों ने कहा कि अहमद के खिलाफ 28 नवंबर को बरेली जिले के देवरनिया पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था, यह कहते हुए कि यह नए कानून के तहत राज्य में पंजीकृत होने वाला पहला मामला था।
देवरनिया के शरीफ नगर गांव के निवासी टीकाराम की एक शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा और धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस ने कहा कि शिकायतकर्ता ने उसी गांव के निवासी अहमद पर अपनी बेटी को लालच के जरिए धर्म बदलवाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
शिकायत के अनुसार, टीकाराम की बेटी और अहमद ने 12 वीं कक्षा में एक साथ पढ़ाई की।
शिकायत के अनुसार, तीन साल पहले, आरोपी ने उस पर धर्म परिवर्तन करने और उसके साथ निकाह (शादी) करने का दबाव डालना शुरू कर दिया।लेकिन जब महिला ने विरोध किया, तो उसने उसे अगवा करने की धमकी दी।
शिकायतकर्ता की बेटी ने जून में किसी और से शादी कर ली। हालांकि, अहमद ने उसे और उसके परिवार के सदस्यों को परेशान करना जारी रखा।
राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा कानून के मसौदे को मंजूरी दिए जाने के चार दिन बाद ही इस कानून को लागू कर दिया गया था, जिसमें केवल शादी के लिए धार्मिक धर्मांतरण पर रोक लगाई गई थी।