विचार , भगवान बुद्ध की विश्व दृष्टि भगवान बुद्ध की विश्व दृष्टि गिरीश्वर मिश्र बौद्ध चिंतन तथता यानी चींजें जैसी हैं उनको लेकर आगे बढ़ता है और होने ( अस्तित्व) की व्याख्या करता है। यह सब बिना किसी आत्मा या शाश्वत की अवधारणा के ही किया जाता है। जो है वह क्षणिक है क्योंकि सबकुछ आ-जा रहा है। अनुभव में कुछ भी ऐसा नहीं है जो क्षण भर भी ज्यों का त्यों टिका .... More Details 5/26/2021 5:41:07 PM