पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपितों को ट्रायल कोर्ट से बरी करने का मामला
नई दिल्ली, 17 नवम्बर (हि.स.) । दिल्ली हाईकोर्ट ने टू-जी स्पेक्ट्रम केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपितों को ट्रायल कोर्ट से बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई और ईडी की याचिका पर सुनवाई टाल दी है। आज जस्टिस बृजेश सेठी की बेंच नहीं बैठी, जिसके बाद इस मामले की अगली सुनवाई 23 नवम्बर को करने का आदेश दिया गया।
पहले की सुनवाई के दौरान आरोपितों की ओर से कहा गया था कि सीबीआई ने तय प्रक्रियाओं का पालन किए बिना ही अपील दायर की है। पिछले 22 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान आरोपितों की ओर से वकील विजय अग्रवाल ने 17 जनवरी, 2018 को केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के कम्युनिकेशन को निरस्त करने की मांग की थी । उन्होंने कहा था कि वह कम्युनिकेशन सीबीआई मैन्युअल और हाईकोर्ट के नियमों के खिलाफ है। उन्होंने कहा था कि जब उन्होंने सीबीआई की ओर से दिए गए दस्तावेजों पर गौर किया तो पाया कि सीबीआई ने बिना प्रक्रियाओं का पालन किए ही अपील दायर की है।
पिछले 21 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान आरोपित करीम मोरानी की ओर से वकील सुधीर नंद्राजोग ने इस मामले के डिवीजन बेंच को रेफर करने की मांग की थी। सुधीर नंद्राजोग ने कोर्ट से कहा था कि इस मामले से जुड़ा कानूनी पहलू डिवीजन बेंच के पास लंबित है। ऐसे में इस मामले को डिवीजन बेंच को रेफर कर दिया जाए या डिवीजन बेंच के फैसले का इंतजार किया जाए, क्योंकि उस फैसले का बड़ा असर होगा। उन्होंने कहा था कि जज कामिनी की ओर से रेफर किए गए सवालों पर जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की बेंच सुनवाई कर रही है।
सुधीर नंद्राजोग ने कोर्ट से आग्रह किया था कि इस मसले पर राज्यसभा और लोकसभा में हुए चर्चाओं पर गौर करना चाहिए। दोनों सदनों में राजनेता हैं और बड़ी संख्या में वकील भी हैं। उन्होंने कहा कि ये साफ है कि विधायिका की इच्छा धारा 13(1)(डी) को हटाने की थी। इस पहलू पर मनमोहन सिंह का केस अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उन्होंने कहा था कि धाराओं को बदलने का मतलब प्रावधान को खत्म करना है।
इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा औऱ कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपितों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। 25 मई, 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया था। हाईकोर्ट ने इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया है।
पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसम्बर, 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया था। जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है।