भारत अब करेगा तीन मिसाइलों का टेस्ट

Wednesday 16 Dec 2020 टेक्नोलॉजी

लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-IV ​का टेस्ट 18 ​दिसम्बर को ​​होगा

 
लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-IV ​का टेस्ट 18 ​दिसम्बर को ​​होगा -​​​​ मध्यम दूरी की मि​​साइल का ​परीक्षण 22 ​दिसम्बर को किया जाएगा​​ - ​कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी-2​ का होगा रात्रि परीक्षण ​नई दिल्ली, 16 दिसम्बर (हि.स.)​​। ​​​स्वदेशी हथियार प्रणालियों के सफल परीक्षणों की श्रृंखला ​में भारत तीन और रणनीतिक मिसाइलों का परीक्षण करने के लिए तैयार है।​ ​इनमें ​​कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी-2​, लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-IV और मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मि​​साइल​​ ​(एमआरएसएएम) ​​​हैं​। ​​इसे इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के सहयोग से डीआरडीओ ने विकसित किया है। इसलिए इजराइल के रक्षा वैज्ञानिकों का एक दल निर्धारित परीक्षण फायरिंग के लिए भारत आ​ चुका है। ​रक्षा सूत्रों ने कहा कि तीन मिसाइलों ​के परीक्षण ​किये जाने हैं जिसमें सशस्त्र बलों द्वारा ​​कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी-2 का उपयोगकर्ता परीक्षण ​​अनुकूल मौसम की स्थिति के अधीन रात के दौरान किया जाएगा​​।​​ ​​इस साल पृथ्वी-2 का ​यह ​तीसरा रात्रि परीक्षण होगा।​ 350 किलोमीटर की स्ट्राइक रेंज वाली इस मिसाइल को पहले ही ​​सशस्त्र बलों में शामिल किया जा चुका है।​ इसी तरह लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-IV का परीक्षण​​​​​​ 18 ​दिसम्बर को ​​होना है।​ 4,000 किमी से अधिक की रेंज वाली 20 मीटर लंबी दो-चरण की परमाणु सक्षम अग्नि-​​IV मिसाइल दक्षिण पूर्व एशिया में कहीं भी लक्ष्य पर वार कर सकती है। ​​​भारत ने ​इससे पहले ​02 जनवरी, 2017 को अग्नि-IV अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था।​ ​​पृथ्वी-2 और अग्नि-IV मिसाइलें पहले से ही ​​सशस्त्र बलों​ से ​​प्रमाणित हैं, इसलिए ​इनके परीक्षण को लेकर ज्यादा चिंता नहीं है​​।​​ इसके अलावा अगले हफ्ते ​​​​मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मि​​साइल ​(एमआरएसएएम)​ ​का विकास ​परीक्षण किये जाने ​की योजना बनाई गई है।​ ​​यदि सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का ​​परीक्षण 22 ​दिसम्बर को किया जाएगा​​।​ ​एमआरएसएएम के सफल परीक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा जिसे इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के सहयोग से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है।​​ ​दोहरे पल्स सॉलिड प्रोपल्शन सिस्टम द्वारा संचालित ​​एमआरएसएएम को दुश्मन के विमानों, मानवरहित हवाई वाहनों, मिसाइलों और रॉकेटों पर हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह मिसाइल उन्नत सक्रिय रडार रेडियो आवृत्ति से लैस है जो सभी मौसम की स्थिति में निर्धारित लक्ष्य का पता लगा सकती है। 4.5 मीटर लंबी परमाणु सक्षम मिसाइल का वजन लगभग 2.7 टन है और यह 60 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकती है। डीआरडीओ सूत्रों के अनुसार लॉन्चिंग प्लेटफॉर्म में मिसाइल का पता लगाने, ट्रैकिंग और मार्गदर्शन के लिए एक मल्टी-फंक्शनल सर्विलांस एंड थ्रेट अलर्ट रडार (एमएफएसटीआर) लगाया गया है, जो 70 किमी. दूर के लक्ष्यों को नष्ट कर सकता है। डीआरडीओ स्वदेशी घटकों के साथ ​एमआरएसएएम मिसाइल की सीमा 150 किमी. तक बढ़ाने की योजना बना रहा है। अब तक मिसाइल के तीन परीक्षण किए जा चुके हैं। मिसाइल की अधिकतम गति मैक 2 है लेकिन लक्ष्य की रेंज में पहुंचने पर इसकी गतिशीलता उच्च स्तर की हो जाती है। इजराइल के रक्षा वैज्ञानिकों का एक दल निर्धारित परीक्षण फायरिंग के लिए भारत आकर यहां डेरा डाले हुए है।

Related Post