रक्षा प्रयोगशाला की उपलब्धि,

Tuesday 06 Apr 2021 टेक्नोलॉजी

दुश्मन की मिसाइलों को गच्चा देने के लिए विकसित किया चैफ

 
जोधपुर, 05 अप्रैल (हि.स.)। जोधपुर स्थित रक्षा प्रयोगशाला ने नौसेना के जहाजों को दुश्मन की मिसाइलों के हमले से बचाने के लिए रिकॉर्ड ढाई वर्ष के अल्पसमय में विशेष फाइबर विकसित किया है। चैफ नाम के इस फाइबर के माध्यम से दुश्मन की मिसाइल को गच्चा दिया जा सकेगा। अब इसका व्यापक स्तर पर उत्पादन करने के लिए पांच कंपनियों के साथ करार किया जा रहा है। आयातित फाइबर से बेहतरीन नतीजे देने वाले इस उत्पाद के निर्यात की भी असीम संभावना है। जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला के निदेशक रवीन्द्र कुमार ने बताया कि सही मायने में यह फाइबर है। बाल से भी पतले इस फाइबर की मोटाई महज 25 माइक्रोन होती है। राकेट के माध्यम से इसके छोटे-छोटे टुकड़ों को दागा जाता है। एक राकेट से करोड़ों अरबों टुकड़े आसमान में एक निश्चित ऊंचाई पर जाकर आपस में मिलकर बादलों के समान एक समूह बना लेते है। इस समूह से दुश्मन की मिसाइल को जहाज का आभास होता है। ऐसे में जहाज की तरफ बढ़ रही मिसाइल अपना लक्ष्य भटक कर इस समूह से टकरा जाती है। रवीन्द्र कुमार ने बताया कि हमने इसे विकसित करने के लिए चार वर्ष की समय सीमा तय की थी, लेकिन हमारी टीम ने अथक प्रयास से इसे सिर्फ ढाई वर्ष में ही तैयार कर दिया। इससे न केवल समय पर देश में विकसित चैफ मिल सकेगा बल्कि विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी। इसके निर्यात की भी भरपूर संभावना है, लेकिन इस बारे में फैसला सरकार करेगी। चैफ को दागने के लिए अलग-अलग क्षमता के तीन राकेट विकसित किए गए है। एक राकेट 10 किलोमीटर, दूसरा 2 किलोमीटर और तीसरा आठ सौ मीटर की दूरी पर चैफ को आसमान में बिखेरता है। राकेट के अग्र भाग में इन्हें भरकर भेजा जाता है। जबकि पिछले हिस्से में विस्फोटक होता है। निश्चित दूरी पर विस्फोट होते ही चैफ के पार्टिकल आसमान में बिखर जाते है। थोड़ी देर में ये करोड़ों पार्टिकल आपस में मिलकर एक समूह के रूप में छा जाते है। जहाज की तरफ बढ़ रही मिसाइल इन्हें अपना लक्ष्य मान दिशा बदल इन पर टूट पड़ती है। इसके अब तक किए गए सारे परीक्षणों के नतीजे संतोषजनक रहे है।

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