छत्तीसगढ़ के सुकमा जिला के उरमापाल के किसान भीमा को समृद्धि की नई राह दिखाई
सुकमा / रायपुर 25 फरवरी (हि.स.)। कृषि की नई तकनीक ने छत्तीसगढ़ के सुकमा जिला के उरमापाल के किसान भीमा को समृद्धि की नई राह दिखाई है। भीमा को समृद्धि की इस नई राह को दिखाने में कृषि विभाग की आत्मा योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सुकमा में छिन्दगढ़ विकासखण्ड के कृषकों द्वारा ही सबसे अधिक धान की खेती की जाती हैं। परन्तु अब इस क्षेत्र के किसान धान के अलावा भी अन्य फसल के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं।
आत्मा योजना से मिला तकनीकी ज्ञान
भीमा मण्डावी ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा संचालित एक्सटेंशन रिफॉर्म्स (आत्मा) योजनांतर्गत जिला स्तरीय प्रशिक्षण तथा विकासखण्ड स्तरीय प्रशिक्षण एवं शैक्षणिक भ्रमण के माध्यम से कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा कृषकों को आधुनिक तकनीक से अच्छी पैदावार लेने के तरीके सीखाए गए। इसके साथ ही खेत में जैविक खाद के उपयोग से फसल की पौष्टिकता बढ़ाकर लाभ कमाने का प्रशिक्षण भी दिया गया। भीमा ने विकासखण्ड स्तरीय प्रशिक्षण में भाग लेकर आधुनिक खेती के बारे मे तकनीकी ज्ञान पाया और फिर अपने खेत पर उन तकनीक का प्रयोग करने लगे। वे अब आधुनिक कृषि का प्रशिक्षण लेने के साथ ही शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि खेती में अच्छी पैदावार से भीमा की आय लगभग दोगुनी हो गई।
सौर सुजला योजना से सिंचाई की चिंता हुई दूर
भीमा अपने 2.5 एकड़ कृषि योग्य भूमि में चार साल से साग भाजी की खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि वे प्रति वर्ष बैंगन, भिंडी, टमाटर, बरबट्टी, लौकी, करेला आदि की फसल लेते हैं। पूर्व में खेती के लिए भीमा वर्षा पर निर्भर था। वर्षा आधारित खेती से वे थोड़ी बहुत सब्जियों का उत्पादन कर पाते थे जो केवल घर उपयोग मात्र ही होता था। कड़ी मेहनत के बावजूद उन्हें आय में कोई लाभ नहीं मिल रहा था। वर्ष 2016 में क्रेडा विभाग के माध्यम से उनकी निर्भरता खत्म हो गई और बड़ी आसानी से वह अपने खेत में लगे फसलों को आवश्यकतानुसार पानी उपलब्ध कराने लगे। सिंचाई में हुई इस सुविधा से भीमा अब साल में दो बार फसल का उत्पादन करने लगे हैं जिससे उन्हें अधिक आय प्राप्त होने लगी है।
इस वर्ष भी है अच्छे आमदनी की है उम्मीद
कृषक भीमा मण्डावी ने बताया कि गत वर्ष उन्होंने सब्जी बेचकर लगभग 90 हजार की शुद्ध आमदनी हुई थी जिसमें 15 हजार रुपये के बैंगन, आठ हजार रुपये की भिण्डी, 20 हजार रुपये की बरबट्टी, 50 हजार रुपये की टमाटर की बिक्री हुई थी। इसके साथ ही केले की फसल से 1.5 लाख की शुद्ध आमदनी हुई थी। इस वर्ष भी उन्होंने बैंगन, भिंडी, टमाटर, बरबट्टी, लौकी, करेला आदि की फसल ली है। जिसकी पैदावार शुरु हो चुकी है, अब तक उन्होंने तीन हजार की सब्जियाँ बेचकर की आमदनी की है। गतवर्ष की भाँति इस वर्ष भी अधिक आमदनी की उम्मीद है।
कृषक भीमा मण्डावी ने शासन प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार कृषकों के हित में कई योजनाएं क्रियान्वित कर रही हैं जिसका लाभ कृषकों को निश्चित तौर पर मिल रहा है।