बुधवार से शुरू हुए छठ पर्व का आज सूर्य को अर्घ्यव देने के बाद समापन हो गया। श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अर्ध्य देकर प्रसाद ग्रहण किया और अपना 36 घंटे लंबा उपवास पूर्ण किया। इस अनुष्ठान को पारण कहा जाता है। छठ पर्व बुधवार को शुरु हुआ था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर लोगों को बधाई दी है।
बिहार में बड़ी संख्या में छठव्रतियों और श्रद्धालुओं ने कोसी, गंडक, बागमती, महानंदा, घाघरा और अन्य नदियों के किनारे छठ घाटों पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। औरंगाबाद, रोहतास, पटना, भोजपुर, नवादा, नालंदा जिलों के सूर्य मंदिरों तथा पौराणिक महत्व के कुछ अन्य स्थानों पर श्रद्धालुओं ने छठ पर्व के अंतिम दिन विशेष पूजा-अर्चना की। इधर, अर्घ्य अर्पित करने के लिए भारत-नेपाल सीमा पर वाल्मिकी नगर गंडक बैराज के पास सीमा के दोनों ओर सुबह से ही छठव्रतियों का तांता लगा रहा।
उत्तर प्रदेश में ख़ास तौर पर पूर्वांचल के इलाकों में यह त्यौहार भव्य तरीके से मनाया गया। प्रशासन द्वारा इस मौके पर घाटों पर खास इंतजाम किए गए थे। कई स्थानों पर घाट पर आने वाले लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग भी की गई और लोगों को उचित दूरी बनाए रखने को कहा गया। श्रद्धालुओं को उनकी ज़िम्मेदारी का एहसास कराने के लिए कई स्थानों पर मास्क और सैनिटाइजर भी वितरित किए गए।
कोरोना महामारी के चलते इस साल छठ पर्व को अनेक लोगों ने अपने घर पर ही मनाया। इस दौरान लोगों ने परंपरा अनुसार सूर्य भगवान की उपासना की और आशीर्वाद लिया।
छठ पर्व शुद्धता और सूर्य के प्रति आस्था से जुड़ा हुआ पर्व है। सूर्य भगवान को पृथ्वी पर जीवन का स्रोत और मनोकामनाएं पूरी करने वाला माना जाता है।