वाराणसी, 30 नवम्बर। कार्तिक पूर्णिमा पर सोमवार को बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी सहित पूरे देश में श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा और अन्य नदियों में आस्था की डुबकी लगाई और दीपदान कर
दान पुण्य किया । स्नान पर्व के दुर्लभ संयोग रोहिणी नक्षत्र एवं सर्वार्थ सिद्धि योग में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालु तड़के से ही गंगा तट पर पहुंचने लगे।
स्नान ध्यान का सिलसिला भोर से अपरान्ह तक चलता रहा। शहर के प्राचीन दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, अहिल्याबाई घाट,पंचगंगा घाट,अस्सी घाट,केदार घाट,खिड़किया घाट,भैसासुर घाट पर
स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। श्रद्धालुओं के चलते घाटों पर मेले जैसा दृश्य रहा। जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस बल की तैनाती गयी थी।
उल्लेखनीय है कि सनातन भारतीय संस्कृति के स्नान पर्वों में कार्तिक पूर्णिमा के स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा,यमुना, गोदावरी आदि पवित्र नदियों में स्नान की महत्ता पुराणों में भी
वर्णित है। इस दिन गंगा स्नान करने से वर्ष भर गंगा स्नान करने बराबर के फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव ने इसी दिन
त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का वध किया था। इन्ही मान्यताओं से ओतप्रोत श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। माना जाम है कि कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा में या तुलसी के समीप दीप
जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।