चीन में मध्य प्रदेश के बने जूट झूले और झोले बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं
भोपाल, 05 अप्रैल (हि.स.)। भारत और चीन के बीच व्यापार संबंधों में तमाम सीमा विवादों के बाद भी कोई कमी नहीं आई है। तमाम राज्यों से चीन जाने वाले सामान में अब मध्य प्रदेश में बनी शिल्प सामग्री भी जुड़ गई है। चीन में मध्य प्रदेश के बने जूट झूले और झोले बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं, यही कारण है कि वह झूलों की मांग लगातार बढ़ाता जा रहा है। इस वर्ष हस्तशिल्प विकास निगम कम से कम 50 लाख के जूट उत्पादों का निर्यात करेगा। इसी के साथ अन्य उत्पादों को भी इससे जोड़ दिया जाए तो कला प्रेमियों के दिए ऑर्डर पर करोड़ों रुपयों की कला सामग्री इस नए साल में राज्य से चीन जाएगी।
मांग अनुसार तैयार किये जा रहे हैं डिजाइन
यहां गौर करने वाली बात यह है कि मध्यप्रदेश हस्तशिल्प विकास निगम द्वारा नवीन इन्वेन्टरी सॉफ्टवेयर विकसित कर ग्राहकों की रूचि एवं शिल्पियों के डिजाइनों के मध्य समन्वय की पहल की गई है। उज्जैन तथा महेश्वर में डिजाइन स्टूडियो की स्थापना भी हुई है। इन केन्द्रों में अत्याधुनिक उपकरण और उन्नत सॉफ्टवेयर के कम्प्यूटर स्थापित किये जा रहे हैं, जिससे शिल्पी और बुनकर अपने उत्पादनों को ई-मार्केटिंग प्लेटफार्म पर अपलोड कर उनका ई-विक्रय पाएं।
इन्हीं नवाचारों का परिणाम है कि चीन जिससे हम बिजली की मशीनरी और उपकरण, बायलर्स, अन्य मशीन और मैकेनिकल उपकरण, प्लास्टिक सामान, लोहा एवं इस्पात की वस्तुऐं, फर्नीचर, उर्वरक, वाहनों के कलपुर्जे, खिलौने, खेलकूद का सामान, सिरामिक उत्पाद और रसायन आदि सामग्री खरीदते हैं वह आज मध्य प्रदेश के कला हुनर की बारीकियों को कला के विभिन्न रूपों में खरीदने के लिए आतुर है।
प्रदेश की कला संस्कृति एवं कलाकारों को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कोरोना के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, परन्तु प्रदेश में कला और कलाकारों को पूरा संरक्षण दिया जा रहा है तथा इनका निरंतर संवर्धन जारी है।
मुख्यमंत्री यह भी कहते हैं कि प्राकृतिक संपदा से भरपूर मध्य प्रदेश कला और संस्कृति का खजाना है। प्रदेश की जनजातीय कला एवं संस्कृति हमारी अमूल्य धरोहर है। इसी के साथ सीएम शिवराज का कहना है कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश की आत्मा वोकल फार लोकल में निहित है। आत्मा की इस आवाज पर ही स्थानीय शिल्प कला, संस्कृति में प्रदेश की पुरा-सम्पदा और हुनर को शामिल कर प्रदेश के आर्थिक विकास की नींव को मजबूत बनाने का काम किया जा रहा है।
प्रदेश में पर्यटन-संस्कृति के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित
संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर का कहना है मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में म.प्र. पर्यटन एवं संस्कृति के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है। प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन, होम स्टे, रूरल एवं एग्रो स्टे जैसे अनेक क्षेत्रों में नवाचार आरंभ किए गए हैं। यही वजह है कि हमारे यहां के शिल्पियों की कला को दुनिया भर में पसंद किया जा रहा है।
उन्होंने कहा भारत सरकार के सहयोग से मध्यप्रदेश हस्तशिल्प विकास निगम के अन्य चार कलस्टर्स में भी डिजाईन स्टूडियो की स्थापना की जा रही है। आशा है कि इन समन्वित प्रयासों से स्थानीय शिल्प और शिल्पकार को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी । प्रदेश में निर्मित कला वस्तुओं एवं अन्य सामग्री को लेकर आप उम्मीद कर सकते हैं कि आनेवाले दिनों में विदेशों से इनकी भारी मांग सामने आनेवाली है। पिछले साल चीन ने अकेले 12 लाख रूपये के जूट झूले मंगवाए थे। इस साल अब तक सवा 12 लाख रूपये कीमत के जूट झूले निर्यात करने का आर्डर आ चुका है।
बाजार मुहैया कराने की पहल ई-कॉमर्स से
राज्य सरकार आज प्रदर्शनी लगाकर स्थानीय शिल्पियों को मार्केटिंग प्लेटफार्म उपलब्ध नहीं करा रही बल्कि इसके आगे आकर उसने प्रदेश के एम्पोरियम और विक्रय काउंटर आरंभ किए हैं। वह अमेजन एवं फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के माध्यम से प्रदेश के शिल्पियों के उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विक्रय की प्रक्रिया पर अमल कर रही है।
सभी ओर बराबर दिया जा रहा ध्यान
पर्यटन एवं संस्कृति के मुख्य सचिव शिव शेखर शुक्ला कहते हैं कि सरकार का ध्यान पर्यटन एवं संस्कृति के विस्तार की दृष्टि से सभी ओर है। हमारा प्रयास है कि जो भी पर्यटक मध्य प्रदेश आए वह धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों के आनन्द के साथ ही ग्रामीण परिवेश के खानपान और स्वच्छ पर्यावरण में अपना एक अलग अनुभव लेकर वापिस जाए। हम पूरे प्रदेश में सभी बड़े पर्यटक स्थलों पर पर्यटन ग्राम विकसित कर रहे है, जिसकी शुरुआत प्रदेश की धार्मिक-पर्यटन नगरी ओरछा के पास के गांव लाड़पुरा राधापुर से हो चुकी है। यहां उद्देश्य यही है कि स्थानीय कलाकारों की बनी सामग्री को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार मिले और स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए-नए अवसर पैदा हो सके।