​​गीले कचरे, ​पेड़ के ​सूखे पत्तों और घास से जैविक ईंधन बनाएगी ​महाराष्ट्र की कंपनी

Tuesday 25 May 2021 अनुसंधान

​जर्मन तकनीक​ से बनने वाले इस ​​जैविक ईंधन से 50 फीसदी तक कम होगा प्रदूषण

 
गोंदिया, 25 मई (हि.स.)। महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में एक निजी कंपनी एक ऐसी परियोजना शुरू करने जा रही है, जिससे जैविक ईंधन का उत्पादन हो सकेगा। ​​​​घास से बनने वाले ​​जैविक ईंधन से वाहन भी चलाये जा सकेंगे।इसके अलावा ​​गीले कचरे, ​पेड़ के ​सूखे पत्तों का उपयोग गांवों और शहरों में ​​​​जैविक ईंधन उत्पादन के लिए किया जाएगा। ​​​​जर्मन तकनीक​ से बनने वाला यह ​​जैविक ईंधन ​पेट्रोल और डीजल की तुलना में 50 प्रतिशत कम प्रदूषण​ फैलाने वाला होगा। ​ ​ ​​​​ ​​ दरअसल, विज्ञान के इस युग में मानव को कुछ वरदान के साथ-साथ कुछ अभिशाप भी मिले हैं। इनमें प्रदूषण जैसा अभिशाप विज्ञान की ही कोख से जन्मा है, जिससे अधिकांश आम जनता परेशान है। प्रदूषण के कारण शुद्ध वायु, जल, खाद्य​ पदार्थ और शांत वातावरण ​भी ​नहीं मिल पा रहा है। मुख्य रूप से वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण मानव जीवन पर बुरा असर डाल रहा है। महानगरों में 24 घंटे चल रहे कारखानों और मोटर-वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि सांस लेना दूभर हो गया है। इसी वजह से तरह-तरह की बीमारियां पैदा हो रही हैं​​​​। ​वायु प्रदूषण खत्म करने के लिए ​कई तरह की ​वैकल्पिक ऊर्जा की मांग बढ़​ रही है​।​ विकल्प के रूप में ​​​जैविक ईंधन​ का उत्पादन करने के लिए सरकार व निजी कंपनियां ​भी ​विभिन्न स्तर पर कार्य कर रही हैं​​। ​​ ​इन्हीं में से एक निजी कंपनी रूचि बायोकेमिकल्स ​​​घास से​ ​जैविक ईंधन​ का उत्पादन करने के लिए आगे आई है।​​ यह कंपनी महाराष्ट्र में ​गोंदिया ​जिले ​के रायपुर ग्राम में घास से जैविक ​​ईंधन​​​ बनाने ​की परियोजना शुरू ​करने जा रही है, जिससे पर्यावरण का संरक्षण ​होने के साथ ही प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी।​​ रुचि बायोकेमिकल्स 1998 से कृषि जैविक प्रौद्योगिकी के अनुसंधान और विकास में शामिल एक पेशेवर संगठन है। यह संगठन सरकारी क्षेत्र, कॉर्पोरेट किसानों और ग्रामीण किसानों के लिए कृषि आदानों का एक प्रमुख निर्माता और आपूर्तिकर्ता है। ​साथ ही यह कंपनी जैविक-उर्वरक, जैविक-कीटनाशक, जैविक-कवकनाशी पौधों के विकास को बढ़ावा देने वाले और नीम आधारित कीटनाशक, नीम की खली जैविक खाद और वर्मी​ ​कम्पोस्ट ​का निर्माण करती है।​​ कंपनी के निदेशक महेन्द्र ठाकुर ने बताया कि​ ​देश में ​​ईंधन की कीमतें हर दिन लगातार बढ़ रही हैं। इसके विकल्प के रूप में गोंदिया तालुका के रायपुर में 25 एकड़ भूमि पर ​​जैविक ईंधन उत्पादन परियोजना शुरू ​​की जाएगी। परियोजना पर 50 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। बतौर ठाकुर ​कृषि जैविक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम कर रही ​उनकी कंपनी मुंबई स्थित मीरा क्लीन फ्यूल कंपनी के तकनीकी और वित्तीय सहयोग से इस ​​परियोजना की शुरुआत ​करेगी। इस पर काम शुरू हो चुका है। यह परियोजना एक साल में ​पूरी होने ​की उम्मीद है। ​उन्होंने बताया कि इस परियोजना के तहत घास से ​​जैविक ईंधन​ बनाया जायेगा। इसके लिए ​​गोंदिया ​जिले के हर गांव में घास लगाई जाएगी। ​​इसके अलावा गीले कचरे, ​पेड़ के ​सूखे पत्तों का उपयोग गांवों और शहरों में ​​​​जैविक ईंधन उत्पादन के लिए किया जाएगा। ठाकुर ने बताया कि​ ​इस परियोजना ​के लिए पेटेंट की ​​गई ​​जर्मन तकनीक का इस्तेमाल बायोरिएक्टर में गैस बनाने के लिए किया जाएगा। इस गैस का उपयोग शु​​द्धिकरण के बाद मोटर​ ​बाइक, कार, कार्गो, ट्रैक्टर​ या अन्य वाहनों को चलाने के लिए किया जाएगा। ​उन्होंने बताया कि इसका उपयोग घरेलू गैस और औद्योगिक क्षेत्र के लिए भी किया जाएगा। इस​की खासियत यह है कि ​​जैविक ईंधन​ की निर्माण प्रक्रिया में कोई प्रदूषण नहीं होगा। बतौ​​र ​ठाकुर ​यह ​जैविक ईंधन​​ पेट्रोल और डीजल की तुलना में 50 प्रतिशत कम प्रदूषण​ फैलाने वाला होगा। ​उन्होंने इलाके के सभी किसानों ​से इस अभियान में सहभागी बनने का आह्वान भी किया है।

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