आम पर खूब आये हैैं बौर

Tuesday 23 Mar 2021 अनुसंधान

बचाव के लिए करें मैकोजेव व वेविस्टीन का छिड़काव

 
मेरठ, 23 मार्च (हि.स.)। इस बार आम के पेड़ों पर बहुत अच्छा बौर खिला है। किसानों को आम की बीमारियों के प्रति सचेत करने के लिए कृषि वैज्ञानिक बागों में पहुंच गए हैं और बौर को सुरक्षित रखने के उपाय बता रहे हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो इस समय तापमान और आर्द्रता बढ़ने से बौर काले या भूरे रंग के होने लगे हैं। ऐसे में किसानों को मैकोजेब व वैविस्टीन 2.5 प्रतिशत अर्थात 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। मेरठ जनपद में लगभग 20 हजार हेक्टेयर में आम के बाग लगे हुए हैं। माछरा और जानी ब्लाॅक फल पट्टी क्षेत्र के रूप में संरक्षित है। मेरठ में गुलाब जामुन, दशहरी, लंगड़ा, चैसा, लखनऊ सफेदा, रामकेला आदि प्रजाति के आम के बाग हैं। मेरठ के बागान मालिक नेपाल, भूटान, बांग्लादेश समेत खाड़ी देशों में अपने आम की सप्लाई करते हैं। इस बार आम के पेड़ों पर अच्छा बौर आने से किसान खासे खुश हैं। आम के बौर को कीड़ों और बीमारियों से बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिक बागों में पहुंचने लगे हैं। भारतीय कृषि प्रणाली संस्थान मोदीपुरम के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. पुष्पेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम लगातार बागों में जाकर किसानों को बीमारियों से बचाव के उपाय बता रही है। उन्होंने बताया कि इस समय तापमान बढ़ रहा है और आर्द्रता लगभग 75 प्रतिशत है। इससे बौर काले या भूरे रंग के होने लगे हैं। ऐसे में किसानों को मैकोजेब व वैविस्टीन 2.5 प्रतिशत अर्थात 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। भुनगा कीट लगने पर 0.3 प्रतिशत अर्थात तीन मिलीलीटर दवा दस लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव करते समय कीटनाशक या फफूंदनाशक के साथ में तरल साबुन, पाउडर या डिटर्जेंट का प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि बौर को बीमारियों और कीड़ों से बचाने से आम की अच्छी पैदावार होने की संभावना है।

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