शिक्षित युवक के लिए खेती बना स्वावलंबन का मार्ग

Monday 18 Jan 2021 अनुसंधान

बैर, अमरूद व पपीता की खेती के जरिए अन्य युवाओं को लिए बेदांत दत्त बना आदर्श

 
गोलाघाट (असम), 18 जनवरी (हि.स.)। शिक्षा प्राप्त करने के बाद अगर सरकारी नौकरी नहीं मिलती है तो बेरोजगारी का तगमा लिए बड़ी संख्या में युवा भटक रहे हैं। ऐसे में गोलाघाट जिला के नोगोरा गांव के निवासी बेदांत दत्त नामक युवक ने ग्रेजुएशन की शिक्षा प्राप्त कर सरकारी नौकरी के पीछे भागने की बजाय कृषि को अपने स्वावलंबन का आधार बनाकर पूरी तमन्यता के साथ जुट गया। उसने वर्ष 2017 में दैयांग नदी के दूसरे छोर गुवालटूप में लगभग 15 बीघा जमीन पर तीन लाख रुपये का निवेश कर बैर के पौधे लगाये। दुर्भाग्य से तकदीर ने उसका साथ नहीं दिया। निपको हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट द्वारा अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के चलते दैयांग-धनसिरि नदी के किनारे स्थित हजारों बीघा कृषि भूमि नष्ट हो गयी। जिसके चलते बेदांत के बैर के पौधे भी बाढ़ में बर्बाद हो गये। ऐसे समय में खुमटाई के विधायक मृणाल सैकिया ने नीपको के अधिकारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी। जबकि कृषक संग्राम समिति (केएमएसए) के नेता अखिल गोगोई ने आंदोलन किया। बावजूद किसी किसान को एक पैसे की भी क्षतिपूर्ति नहीं मिली। इतने के बावजूद बेदांत दत्त निराश नहीं हुआ। उसने पुनः लगभग 60 हजार रुपये का निवेश करते हुए 05 बीघा जमीन पर बैर और तीन बीघा जमीन पर अमरूद और पपीता की खेती करना आरंभ किया। इस बार दो गुने उत्साह के साथ अपने कार्य में जुट गया। अंततः तीनों फलों के पेड़ अच्छी तरह से तैयार हो गये। वर्तमान में प्रतिदिन बाजार में बैर, अमरूद और पपीता पहुंच रहा है। बेदांत ने बताया है कि प्रत्येक सप्ताह लगभग 05 क्विंटल से अधिक बैर का उत्पादन हो रहा है। बाजार में 50 रुपये प्रति किलो की दर से बैर बिक रहा है। अमरूद की बिक्री से उसे लगभग 60 हजार रुपये की आमदनी हुई है। जबकि, पपीता भी अब बाजार में पहुंच रहा है। पपीता प्रति किलो 07 रुपये की दर पर बिक रहा है। अब तक उसे 20 हजार रुपये पपीता बेच कर प्राप्त हो चुके हैं। बेदांत ने बताया है कि उसने अपने खर्च पर कृषि विभाग से 60 ड्रैगेन फ्रूट के पौधे भी लगाये हैं लेकिन उनका विकास नहीं हो रहा है। उसने बताया है कि कृषि की खातिर विभाग में कई योजनाएं हैं। ऐसे में इन योजनाओं के जरिए शिक्षित बेरोजगार युवाओं को जोड़कर रास्ता दिखाने की जरूरत है। ताकि, हर कोई आत्मनिर्भर हो सके। बेदांत ने न सिर्फ अपने आपको आत्मनिर्भर बनाया बल्कि, उसके इस प्रयास से अन्य युवाओं को प्रेरणा मिल रही है। सरकार को ऐसे युवाओं की मदद कर उनका हौसला बढ़ाने की जरूरत है।

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