गोबर बना समृद्धि का आधार

Saturday 16 Jan 2021 अनुसंधान

बगैर खाद के सब्जी फलने वाला गमला

 
बेगूसराय, 16 जनवरी (हि.स.)। अब तक वेद पुराणों में पढ़ते और सुनते आ रहे हैं कि गाय कामधेनु है। लेकिन बेगूसराय के एक युवा ने इस बदलते युग में भी साबित कर दिया है कि गाय सच में साक्षात कामधेनु है और उसकी कोई भी चीज बेकार नहीं जाती। बेगूसराय के राकेश ने गाय के गोबर के सहारे आत्मनिर्भरता की ऐसी राह चुनी, जिसके लिए अब तक बिहार में किसी ने सोचा भी नहीं था। राकेश ने गाय के गोबर से ना केवल जैविक गमला का निर्माण शुरू कर दिया है, बल्कि लगातार सोच को आगे बढ़ाते हुए अगले दीपावली में गाय के गोबर से दीया समेत 50 से अधिक सामान बनाने की योजना है। राकेश पिछले एक महीने से लगातार गाय के गोबर से गमला बना रहा है, इस गमला में सिर्फ फूल ही नहीं, सब्जी भी लगाए जा रहे हैं। सबसे बड़ी बात है कि गोबर का बना यह गमला ना तो बरसात में गलेगा और ना ही इसमें सब्जी या फूल लगाने के लिए किसी प्रकार के अतिरिक्त खाद की जरूरत पड़ेगी। छह से आठ इंच का यह गमला संबंधित पौधा के सभी जरूरतों को जैविक रूप से पूरा कर रहा है। सिकंदरपुर निवासी राकेश ने बताया कि 2017 में घर पर ही गौपालन शुरू कर दी। कोरोना के कारण सब कुछ बंद हो गया तो इसी बीच राकेश की तबीयत खराब हो गई। घर में बैठे-बैठे उसने गूगल पर गौपालन के जरिए समृद्धि का आधार खोजना शुरू किया तो गुजरात की एक फर्म में गोबर से गमला बनाने की जानकारी मिली। वहां जाकर दस हजार में मशीन खरीद ली तो फर्म मालिक ने उसके सपनों को पूरा करने के लिए मुफ्त में प्रशिक्षण दे दिया। गांव आने के बाद जैविक गमला का निर्माण शुरू कर दिया और पिछले एक महीने में छह हजार से अधिक गमलों का निर्माण कर लिया। गमला में उसने अपने घर पर ही आधे दर्जन से अधिक प्रकार की सब्जियां लगाई है तथा अब गमला की बिक्री शुरू कर चुका है। राकेश ने बताया कि एक सौ किलो कच्चा मटेरियल में 65 पीस गमला बनता है। इसके लिए 76 किलो कच्चे गोबर में दस किलो मिट्टी, दस किलो लकड़ी का बुरादा, दो किलो चूना एवं दो किलोमीटर नीम की खल्ली मिलाकर अच्छे तरीके से गुथाई करने के बाद मशीन के माध्यम से गमला तैयार किया जा रहा है। इस गमला में फूल और सब्जी लगाने के लिए किसी प्रकार की रासायनिक खाद की जरूरत नहीं है। राकेश ने बताया कि प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप अपने गांव घर में ही गौपालन कर लोग आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकते हैं। कुछ ही दिनों में गोबर से गणेश, लक्ष्मी एवं श्रीकृष्ण समेत अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा, स्वास्तिक, दीप, अगरबत्ती, धूपबत्ती एवं धूपबत्ती स्टैंड समेत का निर्माण शुरू कर देगा। उसका लक्ष्य है गाय के गोबर एवं गोमूत्र से 50 से अधिक प्रकार का सामान बनाकर लोगों को जहर मुक्त खानपान समेेत विषाक्त वातावरण से मुक्त कराना। एक ना एक दिन यह परिश्रम इतिहास रचेगा, क्योंकि बिहार में अब तक किसी ने ऐसी कोशिश नहीं की थी।

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