3G तकनीक से नींबू की पैदावार, विदेश में छाने को है तैयार

Tuesday 24 Nov 2020 अनुसंधान

 
रजनीश पाण्डेय रायबरेली, 24 नवम्बर(हि.स.)। 3G तकनीक से तैयार नींबू अब विदेशों में छाने को तैयार है। ग्रेन, गोबर और गोमूत्र की पारम्परिक पद्धत्ति से तैयार रसीले नींबू की मांग तेजी से बढ़ रही है। इस 3G तकनीक को अपना रहे किसान और यूपी सरकार के एक्सपोर्ट कमेटी के सदस्य आंनद मिश्रा कहते हैं पारम्परिक गोबर, ग्रेन और गोमूत्र से जहां जमीन की उर्वरता बढ़ती है वहीं नई प्रजाति थाई सीडलेस से नींबू ज़्यादा रसीले होंते हैं जिसकी मांग बहुत है।अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इसकी मांग बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि 2021 में विदेशों में इसका निर्यात शुरू हो जाएगा। जिसका फ़ायदा आम किसानों को होगा। लेमन मैन के नाम से मशहूर किसान आंनद मिश्रा कहते हैं कि नींबू की देशी प्रजाति कागज़ी से थाई सीडलेस बहुत बेहतरीन है।इसका उत्पादन कर किसान मार्केट में इसे बेच सकते हैं और इसे आसानी से प्रॉसेस कर पिकल्स, जूस और स्कवैश बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि 3G तकनीक में बागवानी 10 फ़ीट पर हाई डेंसिटी पर होती है जिससे पत्तियां गिरकर खेत में ही रिसाइकिल होकर कार्बनिक पदार्थ पौधों के लिए तैयार करती हैं। इसे हाइड्रेडिस्ट तकनीक कहते हैं जो कि नींबू की 3G तकनीक का मुख्य आधार है। आंनद का कहना है कि इस तकनीक से तैयार नींबू के लिए बाजार सीधे खुले हैं, विदेशों से जहां मांग बढ़ रही है वहीं किसान इसका प्रससंकरण कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। इससे रोज़गार के भी अवसर पैदा होंगे। मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर बन गए लेमन मैन रायबरेली शहर से 20 किमी दूर कचनावां के रहने वाले आनंद मिश्रा अब लेमन मैन के नाम से मशहूर हैं हालांकि 2016 से पहले तक वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी नौकरी कर रहे थे। मिश्रा बताते हैं कि 13 साल की नौकरी के बाद जब उन्होंने इस क्षेत्र में हाथ आजमाया तो शुरुआत में उन्हें निराशा मिली, लेकिन आधुनिक तकनीक और रिसर्च के सहारे अब वह इस क्षेत्र में अच्छा लाभ कमा रहे हैं। मिश्रा करीब 2 एकड़ से ज़्यादा की खेती कर छह लाख तक सालाना कमा रहे हैं। इसमें शुरुआती लागत के बाद केवल नाममात्र का ख़र्चा करना पड़ता है। आंनद का कहना है कि एक एकड़ में करीब 40 हजार की शुरू में लागत आती है जो कि दूसरे वर्ष नगण्य हो जाती है और प्रति एकड़ करीब 80 से 100 कुंतल तक कि पैदावार होती है जो कि आगे बढ़ती जाती है। लेमन मैन का कहना है कि यह ऐसी फसल है जिसमें पैदावार तो बढ़ता है लेकिन लागत लगातार कम होती रहती है। किसानों को अब आसपास ही इस उत्पाद का बाजार प्रमुखता से मिल रहा है।जिससे किसान की कमाई में इज़ाफ़ा होता रहता है। एक मल्टीनेशनल कंपनी के कर्मचारी से लेमन मैन बने आंनद की कहानी लोगों को अब भा रही हैं और अब लोग उनसे इस फसल की बारीकियां सीखने दूर-दूर से आते हैं। आंनद का यह प्रयास किसानों के लिए एक प्रेरणा बन रहा है।

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