कृषि के मॉडल विकसित, किसान उपयोग करें

Monday 08 Feb 2021 अनुसंधान

सत्तत कृषि प्रणाली में बागवानी, फसल, चारा उत्पादन, औषधिय पौधें, पशुधन द्वारा वर्ष भर आय मिलती है

 
जोधपुर, 08 फरवरी (हि.स.)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के उपमहानिदेशक (एनआरएम) डॉ. एसके चौधरी ने काजरी के शोध क्षेत्रों का भ्रमण किया एवं संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे विभिन्न शोध कार्यो का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि शुष्क क्षेत्रों में कृषि के विकास हेतु संस्थान में विभिन्न कृषि पद्धतियों के मॉडल विकसित किये गये हैं,जिनको किसान अपनी आवश्यकता के अनुरूप रूचि के अनुसार अपनाकर कृषि से अधिक लाभ ले सकते है। उन्होंने कहा कि खेती को लाभकारी बनाने एवं किसानों की आय बढ़ाने के लिए केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसन्धान संस्थान ( Central Arid Zone Research Institute / काजरी) ने कम पानी मेंजल्दी पकने वाली एवं अधिकतमउपज देने वाली किस्में विकसित की है तथा वृहद स्तर पर बीज उत्पादन भी किया जा रहा है। सत्तत कृषि प्रणाली में बागवानी, फसल, चारा उत्पादन, औषधिय पौधें, पशुधन द्वारा वर्ष भर आय मिलती है। उन्होंनें कहा होर्टिकल्चर, एग्रोफोरेस्ट्री मिशन एवं अन्य विभागों में पौधों की बहुत मांग है। किसानों को प्रशिक्षण दे ताकि वे स्वय अपनी नर्सरी तैयार कर पौधें विक्रय कर लाभान्वित हो। बाजरा यहाँ की मुख्य फसल है संस्थान में बाजरा में मूल्य संवर्द्धन कर बिस्कट, चाकलेट, कुरकरें बनाये है, ग्रामीण महिलाए प्रशिक्षण लेकर रोजगार प्राप्त कर सकती है। डॉ. चौधरी ने स्वचालित ड्रिप एण्ड फर्टिगेशन प्रणाली, अनुसूचित जाति उपयोजना के अन्तर्गत खाद, बीज, उर्वरक रखने के लिए भण्डार गृह, पशु आहार प्रौद्योगिकी इकाई, कटाई उपरान्त प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला, ड्रेगन फ्रुट प्रायोगिक प्रक्षेत्र,कैक्टस कार्नर उद्यान का उद्घाटन किया। उन्होंने संस्थान में गुलमोहर, ड्रेगन फ्रुट के पौधें का पौधारोपण भी किया। उन्होने काजरी निदेशक एवं संस्थान के वैज्ञानिको ंद्वारा किए जा रहे शोध कार्यो की सराहना की। काजरी निदेशक डॉ. ओ.पी. यादव ने संस्थान में चल रही शोध परियोजनाओं एवं उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंनें कहा कि शुष्क क्षेत्रों में कृषि के विकास हेतु उन्नत किस्मों के बीज, पौधे किसानों को उपलब्ध करवाएजा रहे है। किसानों का अधिक से अधिक संस्थान के साथ जुड़ाव हो आपसी समन्वय बढाया जा रहा है ताकि वे लाभ ले सके। विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. सिंह ने जीरा, मूंग, मोठ, ग्वार बीजों के उत्पादन एवं फसल वाटिका, डॉ. सी.बी. पाण्डे ने प्राकृतिक संसाधनों के प्रबन्धन, जल संग्रहण, डॉ. प्रवीण कुमार ने वानिकी पौधों, ग्राफ्टिंग खेजड़ी, कुमट से गोंद उत्पादन, डॉ. प्रतिभा तिवारी ने कृषि तकनीकी सूचना केन्द्र, एवं तकनीकी हस्तांतरण, डॉ. दिलीप जैन ने सौर उर्जा के विभिन्न उपयोग,डॉ. एन.वी. पाटील ने पशुप्रबन्धन के बारे में जानकारी दी।

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