राजस्थान के प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट व पद्मश्री डॉ. अशोक पनगड़िया का निधन

Friday 11 Jun 2021 राजस्थान

राजस्थान के प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट व पद्मश्री डॉ. अशोक पनगड़िया का निधन

 
जयपुर, 11 जून (हि.स.)। देश- विदेश के प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट और पद्मश्री डॉ. अशोक पनगडिय़ा का शुक्रवार दोपहर करीब 3.50 बजे निधन हो गया। पोस्ट कोरोना बीमारियों से जूझ रहे पनगड़िया लंबे समय से वेंटीलेटर पर थे। उनकी स्थिति ज्यादा खराब होने के बाद शुक्रवार दोपहर करीब 2.30 बजे उन्हें जयपुर स्थित ईएचसीसी अस्पताल से उनके निवास पर वेंटीलेटर सपोर्ट पर ही लाया गया, लेकिन करीब सवा घंटे बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। चिकित्सकों के मुताबिक कोरोना के कारण उनके फेफड़े (लंग्स) ख़राब हो चुके हैं। 48 दिनों तक कोरोना से लडऩे के बाद डॉ. पनगड़िया शुक्रवार को जीवन की जंग हार गए। इससे पहले उनकी सेहत के लिए देशभर में उनके करीबी और उनसे जुड़े लोग उनके जल्द ठीक होने की दुआएं कर रहे थे। उनके इलाज के लिए देश-विदेश के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगी हुई थी, जिसमें टॉप नेफ्रोलॉजिस्ट, पल्मनोलॉजिस्ट, फिजीशियन शामिल रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी उनकी तबीयत पर लगातार नजर बनाए थे। डॉ. पनगड़िया को 24 अप्रैल को कोरेाना के लक्षण महसूस होने लगे थे, तब वे जेएलएन मार्ग स्थित एक निजी लैब गए और वहां एचआरसीटी करवाई। सिटी स्कैन की रिपोर्ट में उनका स्कोर 17 आया था। इसके बाद वे 25 अप्रैल को खुद जयपुर के आरयूएचएस अस्पताल में भर्ती हुए थे। वहां उनकी तबीयत खराब होने के बाद जवाहर सर्किल के पास स्थित ईएचसीसी अस्पताल शिफ्ट कर दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अस्पताल के को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा से डॉक्टर पनगड़िया के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। डॉ. पनगड़िया पिछले एक साल से घर से कहीं ज्यादा नहीं निकले थे। पिछले साल जुलाई 2020 में उनके पुत्र की शादी के दौरान भी कार्यक्रम में महज 15 लोग ही शामिल हुए थे। उदयपुर में प्रस्तावित शादी समारोह को जयपुर में एक छोटे से आयोजन के तौर पर करवाया था। इसके अलावा डॉ. पनगड़िया ने पिछले एक साल (कोरोना जब से शुरू हुआ) से मरीजों को देखना भी बंद कर दिया था, केवल ऑनलाइन ही मरीजों को परामर्श दिया करते थे। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पनगड़िया को 1992 में राजस्थान सरकार की ओर से मेरिट अवॉर्ड मिला। वे एसएमएस में न्यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष रहे। 2006 से 2010 तक प्रिंसिपल रहे। 2002 में उन्हें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने डॉ. बीसी रॉय अवॉर्ड दिया। 2014 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। उनके 90 से ज्यादा पेपर जर्नल में छप चुके हैं। उनकी मेडिकल और सोशल सहभागिता के चलते उन्हें यूनेस्को अवॉर्ड भी मिल चुका है। उन्हें कई लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला था।

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