कुरुक्षेत्र में सौ वर्ष से ज्यादा पुराने पीपल वृक्ष को काटे जाने की शिकायतों पर हो कार्रवाई : एनजीटी

Tuesday 01 Jun 2021 कैंपस

कुरुक्षेत्र में सौ वर्ष से ज्यादा पुराने पीपल वृक्ष को काटे जाने की शिकायतों पर हो कार्रवाई : एनजीटी

 
नई दिल्ली, 1जून नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा के यमुनानगर के जिला वन अधिकारी (डीएफओ) को निर्देश दिया है कि वो कुरुक्षेत्र के एक सौ वर्ष से ज्यादा पुराने पीपल के वृक्ष को काटे जाने की शिकायतों पर कार्रवाई करे। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश जारी किया। याचिका हरियाणा निवासी सुभाष चंद ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि कुरुक्षेत्र के तहसील शाहबाद मरकंडा के यारा गांव स्थित वेदव्यास कुंड खेड़ा मंदिर के सौ वर्ष पुराने पीपल के पेड़ को कानून का उल्लंघन कर काटा जा रहा है। पीपल के पेड़ को राष्ट्रीय पेड़ घोषित किया गया है। ये पेड़ चौबीसों घंटे ऑक्सीजन देता है जो पर्यावरण के लिए काफी जरूरी है। याचिकाकर्ता मंदिर के ट्रस्ट का प्रमुख है। पीपल का पेड़ काटे जाने की सूचना मिलने पर उसने मंदिर प्रबंधन से इस बारे में पूछा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उसके बाद उसने यमुनानगर के डीएफओ से इस संबंध में संपर्क किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई नहीं होने पर याचिकाकर्ता ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था। (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा के यमुनानगर के जिला वन अधिकारी (डीएफओ) को निर्देश दिया है कि वो कुरुक्षेत्र के एक सौ वर्ष से ज्यादा पुराने पीपल के वृक्ष को काटे जाने की शिकायतों पर कार्रवाई करे। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश जारी किया। याचिका हरियाणा निवासी सुभाष चंद ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि कुरुक्षेत्र के तहसील शाहबाद मरकंडा के यारा गांव स्थित वेदव्यास कुंड खेड़ा मंदिर के सौ वर्ष पुराने पीपल के पेड़ को कानून का उल्लंघन कर काटा जा रहा है। पीपल के पेड़ को राष्ट्रीय पेड़ घोषित किया गया है। ये पेड़ चौबीसों घंटे ऑक्सीजन देता है जो पर्यावरण के लिए काफी जरूरी है। याचिकाकर्ता मंदिर के ट्रस्ट का प्रमुख है। पीपल का पेड़ काटे जाने की सूचना मिलने पर उसने मंदिर प्रबंधन से इस बारे में पूछा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उसके बाद उसने यमुनानगर के डीएफओ से इस संबंध में संपर्क किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई नहीं होने पर याचिकाकर्ता ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था।

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