खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा बढ़ा, दलहन की खेती दोगुना करने की कोशिश

Saturday 01 May 2021 राष्ट्रीय

खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा बढ़ा, दलहन की खेती दोगुना करने की कोशिश

 
नई दिल्ली1 मई, (हि.स.)। कोरोना संक्रमण काल में जब हर ओर निराशा का माहौल बना हुआ है, तब कृषि मंत्रालय से अर्थव्यवस्था को राहत पहुंचाने वाली खबर आई है। इस साल ग्रीष्मकालीन फसलों (खरीफ फसलों) की बुवाई का क्षेत्रफल पिछले साल की तुलना में 21.58 फीसदी बढ़ गया है। बताया जा रहा है कि खरीफ फसलों की बुवाई के क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी मुख्य रूप से दलहन की बुवाई के क्षेत्रफल में हुई जोरदार बढ़ोतरी के कारण हुई है। इस साल दलहन की बुवाई का क्षेत्रफल लगभग दोगुना हो गया है। इससे इस बात की उम्मीद की जा रही है कि इस सीजन में खरीफ फसलों का उत्पादन पहले की तुलना में ज्यादा बेहतर हो सकेगा, जिससे जीडीपी विकास दर में कृषि क्षेत्र अपना अहम योगदान दे सकेगा। कृषि मंत्रालय के अनुसार देशभर में कोरोना संक्रमण के कारण डर और अनिश्चितता का माहौल है। ज्यादातर सेक्टर में आर्थिक गतिविधियां मंद पड़ती हुई नजर आने लगी हैं, लेकिन इसी अवधि में कृषि क्षेत्र में काफी बेहतरीन बढ़ोतरी नजर आ रही है। खासकर अगर दलहन की बात की जाए, तो इस साल इसकी बुवाई 12.75 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में की गई है। पिछले साल पूरे देश में दलहन की बुवाई सिर्फ 6.45 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर हुई थी। इस तरह से दलहन की बुवाई का रकबा पिछले साल की तुलना में इस साल 97.58 फीसदी बढ़ गया है। बताया जा रहा है की दलहन के मामले में मुख्य रूप से झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडीशा, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा बुवाई का क्षेत्रफल बढ़ा है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस साल धान की बुवाई 39.10 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में हुई है, जबकि पिछले साल धान की बुवाई 33.82 लाख हेक्टेयर भूमि में हुई थी। इस तरह धान की बुवाई के क्षेत्रफल में 15.59 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह अगर तिलहन की बात करें, तो इसकी बुवाई के क्षेत्रफल में लगभग 15.66 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल 9.03 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में तिलहन की बुवाई हुई थी। जबकि इस साल तिलहन की बुवाई का रकबा बढ़ कर 10.45 लाख हेक्टेयर हो गया है। मंत्रालय के अनुसार रागी, ज्वार और बाजरा जैसे मोटे अनाजों की बुवाई का रकबा भी पिछले साल की तुलना में बढ़ा है। हालांकि क्षेत्रफल की ये बढ़ोतरी महज 0.93 फीसदी की ही है। 2020 में देश में कुल 11.35 लाख हेक्टेयर जमीन पर ज्वार, बाजरा और रागी जैसे मोटे अनाज की बुवाई की गई थी। लेकिन इस साल मोटे अनाज की बुवाई का रकबा बढ़कर 11.46 लाख हेक्टेयर हो गया है। अगर ग्रीष्मकालीन फसलों की कुल बुवाई की बात की जाए, तो पिछले साल देश में 60.67 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में खरीफ फसलों की बुवाई की गई थी, जबकि इस साल खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा 21.58 फीसदी बढ़कर 73.76 लाख हेक्टेयर हो गया है। कृषि मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि सरकार ने इस खरीफ सीजन में दलहन और तिलहन की बुवाई का रकबा बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया है। ऐसा करने का मुख्य उद्देश्य दलहन के उत्पादन में दोगुने से अधिक बढ़ोतरी करने का है, ताकि दलहन की लगातार बढ़ती कीमत पर काबू पाया जा सके। वहीं सरकार का इरादा तिलहन के उत्पादन को भी आने वाले कुछ सालों में बढ़ाकर दोगुना करने का है। फिलहाल भारत में खाद्य तेल की कुल जरूरत का 57 फीसदी अंतरराष्ट्रीय बाजार से आयात किया जाता है। खाद्य तेल की मांग बढ़ने की वजह से साल दर साल विदेशी बाजार पर भारत की निर्भरता बढ़ती जा रही है, जिसके कारण इसका आयात बिल भी लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले वित्त वर्ष में खाद्य तेल का आयात बिल 70 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा हो गया है। इस वजह से सरकार देश में ही तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने की कोशिश कर रही है, ताकि अंतरराष्ट्रीय बाजार पर भारत की निर्भरता को न्यूनतम किया जा सके। ऐसा होने से खाद्य तेल की कीमत में अचानक होने वाले तेज उतार-चढ़ाव पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा और इससे व्यापार घाटे को भी कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही तिलहन उत्पादक किसानों की आय को भी बढ़ाया जा सकेगा। मौसम विभाग ने इस साल देश में सामान्य मॉनसून रहने की भविष्यवाणी की है। इसके साथ ही वाटर स्टोरेज सर्वे 2020 के मुताबिक देश के 130 प्रमुख जलाशयों में पानी का भंडारण भी पिछले 10 सालों के औसत भंडारण से 20 फीसदी अधिक है। इससे जाहिर है कि इस साल ग्रीष्मकालीन फसलों को सिंचाई की तुलनात्मक तौर पर ज्यादा बेहतर सुविधा मिल सकेगी। विशेष रूप से ओडीशा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में पानी की उपलब्धता बढ़ने के कारण खरीफ फसलों की बुवाई पहले की तुलना में अधिक कृषि भूमि में हुई है। सामान्य मानसून और जलाशयों में पानी के भंडारण के आधार पर इस बात का भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल के खरीफ सीजन में खाद्यान्न के साथ ही दलहन और तिलहन का बंपर उत्पादन होगा।

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