सामने आने लगे ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के सकारात्मक परिणाम - इस साल किसान खुद ही ट्रैक्टर से रौंद रहे हैं अपनी धान की फसल - जल संरक्षण के प्रति जागरुकता के लिए सरकार दे रही प्रोत्साहन राशि
चंडीगढ़, 11 जून (हि.स.)। हरियाणा सरकार की ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के सकारात्मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं। इस योजना के तहत सात हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने व जल संरक्षण के प्रति जागरुकता का ही नतीजा है कि अब किसान स्वयं भी आगे आकर अधिक जल की खपत वाली धान की परंपरागत फसल से किनारा करने लगे हैं। इस वर्ष राज्य में दो लाख एकड़ भूमि इस योजना के अधीन लाने का लक्ष्य है। योजना से जागरूक होकर इस साल किसान खुद ही अपनी धान की फसल ट्रैक्टर से रौंद रहे हैं।
हरियाणा सरकार ने जल संरक्षण व फसल विविधीकरण के प्रोत्साहन के लिए बीते वर्ष ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना इसलिए चलाई थी ताकि अधिक पानी वाली फसल से बचा जा सके। धान की फसल में पानी की अधिक खपत होने से लागत बढ़ने के साथ ही भूजल का भी अत्यधिक दोहन होता है। इसके विपरीत कम पानी वाली अन्य फसलों की लागत कम होने से पैसा और पानी दोनों की बचत होगी। सरकार ने इस योजना को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन राशि की भी घोषणा की है ताकि किसान धान की फसल के प्रति अपना मोह कम कर सकें।
हरियाणा सरकार ने किसानों की ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के लिए पंजीकरण कराने की अंतिम तिथि 25 जून, 2021 कर दी है। इस योजना के तहत धान के स्थान पर कम पानी में उगने वाली फसलें जैसे मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, सब्जियां आदि की खेती करने वालों को प्रति एकड़ सात हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इतना ही नहीं इस वर्ष इस योजना में एग्रो फोरेस्ट्री को भी जोड़ा गया है, जिसके तहत धान की बजाए प्रति एकड़ 400 पेड़ लगाने पर हरियाणा सरकार किसान को प्रति वर्ष 10 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करेगी।
इस योजना के सकारात्मक परिणाम का ही नतीजा है कि झज्जर जिले के गांव ढाकला के किसानों ने इस बार सामूहिक रूप से 3445 एकड़ भूमि में धान की खेती नहीं करने का निर्णय लिया है। बीते वर्ष इस गांव के तीन हजार एकड़ रकबे में धान की फसल लगाई गई थी। इस बार गांव के दो बड़े किसानों ने स्वयं अपनी फसल नष्ट करते हुए अन्य किसानों को कम पानी वाली फसल अपनाने के जागरूक करना शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गांव ढाकला के किसानों के निर्णय की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस उद्देश्य से बीते वर्ष ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना आरंभ की गई थी, उसमें सफलता मिलनी आरंभ हो चुकी है। इस वर्ष राज्य में दो लाख एकड़ भूमि इस योजना के अधीन लाने का लक्ष्य है। गिरते भूजल स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री का कहना है कि आज हरियाणा के 36 खण्ड डार्क जोन में आ चुके हैं। अगर जल संरक्षण के प्रति आज सजगता नहीं बरती गई तो भविष्य में स्थिति भयावह हो सकती है। राज्य की 95 हजार एकड़ भूमि में बीते वर्ष भी धान के बजाए कम पानी से होने वाली फसलों की खेती की गई थी। प्रदेश में ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत एक लाख 13 हजार 885 किसान अब तक एक लाख 26 हजार 928 हेक्टेयर में धान के बजाए अन्य कम लागत वाली फसलों की खेती कर रहे हैं।
गांव ढाकला में धान की फसल नष्ट करने वाले किसान संतराम व जयपाल ने पंचायत की जमीन पट्टे पर लेकर इस बार धान लगाई थी लेकिन जल संरक्षण के प्रति गांव में बनी जागरुकता व हरियाणा सरकार की ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना से जागरूक होकर उन्होंने अपनी फसल नष्ट करने का निर्णय लिया है। इन किसानों के इस कदम की न केवल आस-पास के गांवों में बल्कि राज्य स्तर पर भी चर्चा हो रही है। गांव ढाकला के ही अन्य किसान सुरेंद्र व रामरतन ने बताया कि बीते वर्ष धान की खेती करने वालों में इस बार ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के पोर्टल पर पंजीकरण कराने में तेजी भी नजर आ रही है।