गलवान झड़प के 1 साल, अब चीन से लंबी लड़ाई की तैयारी कर रही भारतीय सेना

Tuesday 15 Jun 2021 राष्ट्रीय

गलवान झड़प के 1 साल, अब चीन से लंबी लड़ाई की तैयारी कर रही भारतीय सेना

 
चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए इस गर्मी में एलएसी पर 50 हजार से बढ़ाकर 60 हजार अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया गया है। भारतीय सेना और वायु सेना को सभी स्तरों पर मजबूती से तैनात किया गया है। भारतीय सेना ने मथुरा स्थित वन स्ट्राइक कोर को लद्दाख में उत्तरी सीमाओं पर तैनात किया है। 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर को पूरे पूर्वोत्तर राज्यों का प्रभार दिया गया है। सेना ने अक्टूबर, 2019 में पहली बार एकीकृत इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स की अवधारणा को अमल में लाते हुए पानागढ़ स्थित 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर को 59 माउंटेन डिवीजन से अलग किया था। इसे एक अतिरिक्त डिवीजन का दर्जा दिया गया है जिसमें 10 हजार से अधिक सैनिक शामिल हैं। चीन के खिलाफ पहले से तैनात सिर्फ एक स्ट्राइक कॉर्प्स के बजाय अब दो स्ट्राइक कोर की तैनाती की जानी है। इसके पीछे कोर स्तर के बजाय एक से अधिक एकीकृत इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (आईबीजी) के जरिए दुश्मन को जवाब देने की रणनीति है। भारतीय सेना ने पैन्गोंग झील में गश्त के लिए 17 नावें तैनात की हैं। हालांकि 35 फुट लंबी नावें वर्तमान में किसी भी हथियार से सुसज्जित नहीं हैं, लेकिन भविष्य की किसी भी आवश्यकता के अनुसार हल्के हथियारों से लैस हो सकती हैं। गलवान संघर्ष के बाद राफेल लड़ाकू विमानों के आने से भारतीय वायु सेना भी और ज्यादा मजबूत हुई है। हालांकि इससे पहले मिग-29, सुखोई-30, जगुआर लड़ाकू विमान लद्दाख के आसमान पर हावी रहे हैं। अब राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन हाशिमारा (पश्चिम बंगाल) में शुरू होने से पूर्वी सीमाओं को और मजबूती मिलेगी। चीनी सेना के साथ सैन्य गतिरोध में लगी भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर और अन्य क्षेत्रों में ऐसे आवास बनाये हैं जिनमें बड़ी संख्या में सैनिकों को समायोजित करने की क्षमता है। पूर्वी लद्दाख में कठोर सर्दियों के दौरान शून्य से 45 डिग्री नीचे तापमान जाने पर भी यह आवास सैनिकों को सुरक्षित रखेंगे। इसी साल की शुरुआत में भारत के साथ हुए समझौते के बाद चीन ने बड़ी तेजी के साथ पैन्गोंग झील के फिंगर एरिया को खाली करना शुरू कर दिया था। दोनों देशों के बीच मुख्य विवाद की वजह बनी फिंगर-4 की रिजलाइन खाली करने के साथ ही चीनियों ने फिंगर-5 और फिंगर-8 के बीच किये गए पक्के निर्माणों को भी हटाया है। भारत ने भी सुरक्षा की दृष्टि से उन स्थानों से सैनिकों को कम कर दिए हैं जहां दोनों सेनाओं के बीच टकराव हुआ था। इस एरिया से विस्थापन प्रक्रिया पूरी होने और उसका सत्यापन होने के बाद 20 फरवरी को भारत-चीन के कोर कमांडरों के बीच 10वें दौर की सैन्य वार्ता भी हुई। इसके बाद 11वें दौर की सैन्य वार्ता 09 अप्रैल को हुई जिसमें गोगरा, डेप्सांग और हॉट स्प्रिंग क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर सहमति नहीं बन पाई है।

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