इतिहास के पन्नों मेंः 01 जून

Tuesday 01 Jun 2021 राष्ट्रीय

इतिहास के पन्नों मेंः 01 जून

 
घर को लगी आग, घर के चिराग सेः जून का पहला दिन नेपाल के इतिहास में काला दिन की तरह है, जिसने नेपाल के भविष्य को पूरी तरह से बदलकर रख दिया। साल 2001 में 01 जून की देर शाम भारत के इस पड़ोसी देश में हुई घटना ने पूरी दुनिया को सन्न कर दिया। इस शाम नेपाल नरेश बीरेंद्र का शाही परिवार फैमिली टूगेदर के सिलसिले में काठमांडू के अपने नारायणहिती पैलेस में एकसाथ जमा था। कहते हैं कि नेपाल नरेश का पुत्र युवराज दीपेंद्र नशे की हालत में आर्मी जवान की पोशाक पहने हथियारों से लैस होकर वहां पहुंचा और उसने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। पलभर में सबकुछ खत्म हो गया। आखिर में दीपेंद्र ने खुद को भी गोली से उड़ा लिया। शाही परिवार के सदस्यों की लाशें बिछ गयीं। रक्त में नहाए नेपाल नरेश बीरेंद्र, उनकी पत्नी ऐश्वर्या, राजकुमार निरंजन, राजकुमार श्रुति सहित कुल नौ लोगों की लाशें घटनास्थल से बरामद हुई। सबके सब राजपरिवार से ही ताल्लुक रखते थे। हत्याकांड के पीछे कई कारण बताए गए। इनमें सबसे प्रमुख हमलावर युवराज दीपेंद्र की असफल प्रेम कहानी और उससे उपजे असंतोष को कारण बताया जाता है। माता-पिता द्वारा मनपसंद युवती से शादी से साफ तौर पर इनकार किए जाने के बाद गुस्से में बेकाबू युवराज दीपेंद्र ने हत्याकांड को अंजाम देकर खुदकुशी कर ली। दूसरी वजह बतायी गयी कि युवराज दीपेंद्र, नेपाल की रॉयल सेना के लिए जर्मनी से पचास हजार राइफल खरीदने की मंशा रखता था लेकिन नेपाल नरेश ने प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। आहत युवराज के नरेश के प्रति असंतोष को हवा मिली, जो हत्याकांड के रूप में अंजाम तक पहुंचा। हालांकि घटनाक्रम की हकीकत अबतक सामने नहीं आई। घटना के बाद नेपाल नरेश के भाई ज्ञानेंद्र बीर बिक्रम शाह देश के नये राजा बने। फिर 2008 में नेपाल में राजशाही खत्म हो गयी और नेपाल में माओवादी सरकार बनी। अन्य अहम घटनाएंः 1819ः बंगाल में सेरमपुर कॉलेज की स्थापना। 1835ः कलकत्ता मेडिकल कॉलेज का कामकाज शुरू। 1874ः ईस्ट इंडिया कम्पनी को भंग किया गया। 1929ः हिंदी फिल्म अभिनेत्री नरगिस दत्त का जन्म। 1930ः भारत की पहली डीलक्स रेल डक्कन क्वीन को बॉम्बे वीटी और पुणे के बीच शुरू किया गया। 1964ः नया पैसे से नया शब्द हटाकर इसे पैसा कहा जाने लगा। 1979ः रोडेशिया में 90 साल बाद अल्पसंख्यक श्वेत लोगों का शासन खत्म हुआ और घोषणा हुई कि अब देश को जिम्बाब्वे के नाम से जाना जाएगा। 1996ः एच.डी. देवगौड़ा देश के 11वें प्रधानमंत्री बने।

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