हम इसे लव जिहाद नहीं मानते : इलाहाबाद उच्च न्यायालय

Tuesday 24 Nov 2020 राष्ट्रीय

 
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के एक मुस्लिम व्यक्ति के खिलाफ लव जिहाद को लेकर दायर एक प्नथम सुचना रिपोर्ट (एफआईआर)  को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है। यह रिपोर्ट उसकी पत्नी के माता-पिता द्वारा दायर की गई थी जिसने पिछले साल इस्लाम में शादी कर इस्लाम धर्म अपना लिया था।  दो न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, "एक व्यक्तिगत संबंध में हस्तक्षेप दो व्यक्तियों की पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार में एक गंभीर अतिक्रमण होगा।" "हम प्रियंका खरवार और सलामत अंसारी को हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि वे दो वयस्क व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपनी मर्जी और पसंद से शादी की है और एक साल से अधिक शांति और खुशी के साथ रह रहे हैं।  अदालत ने कहा कि विशेष रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए गारंटी दी गई है।  अपनी पसंद के किसी व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार, चाहे वह किसी भी धर्म से जुड़ा हो, जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अन्दर आता है।" यूपी, मध्य प्रदेश और हरियाणा की दक्षिणपंथी सरकारें दो मजहबों के बीच होने वाली शादी को गलत मानते हुए इसे रोकने के लिये लव जिहाद बिल ला रही है। 11 नवंबर को पारित 14-पृष्ठ के आदेश में, न्यायाधीश विवेक अग्रवाल और पंकज नकवी ने इसी तरह के मामलों में एक ही अदालत में अलग-अलग न्यायाधीशों द्वारा दिये गये  पिछले दो आदेशों पर तीखी टिप्पणियां कीं। उनमें से एक 2014 में पांच जोड़ों द्वारा दायर एक रिट याचिका थी, जो अंतरजातीय विवाह के बाद सुरक्षा की मांग के लिये दायर की गयी थी । याचिका खारिज कर दी गई। एक अन्य मामले में, सितंबर में एक एकल-न्यायाधीश पीठ ने एक युगल द्वारा दायर याचिका में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्होंने अपनी शादी के तीन महीने बाद सुरक्षा मांगी थी। न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा  था कि  " सिर्फ शादी के लिये किया गया धार्मिक रूपांतरण स्वीकार नहीं है"। "इनमें से कोई भी निर्णय दो व्यस्क व्यक्तियों की स्वतंत्रता और जीवन साथी को चुनने की उनकी स्वतंत्रता के अधिकार के समरूप नहीं है। वर्तमान मामले में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के निवासी सलामत अंसारी और उनकी पत्नी प्रियंका खरवार द्वारा दायर एक रिट याचिका पर फैसला कर रहा था, जिन्होंने अपनी शादी से ठीक पहले इस्लाम धर्म अपना लिया था और अपना नाम बदलकर आलिया कर लिया था। 

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