दो कम्पनियों को जल्दी ही मिलेगी इजाजत
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि भारत में जनवरी महीने से कोरोना के टीके लगने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.अगले साल जनवरी से अगस्त महीने तक लगभग 30 करोड़ लोगों को कोरोना के टीके लगाए जाएंगे.
इस प्रक्रिया में एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मचारी शामिल होंगे, जिनमें पुलिसकर्मियों और नगर निगम के कर्मचारियों सहित फ्रंट लाइन पर काम करने वाले लोग शामिल होंगे.
इसके बाद उन लोगों तक टीका पहुँचाया जाएगा जिनकी उम्र 50 साल से ज़्यादा है या जिन्हें दूसरी कई बीमारियाँ (को-मॉर्बिडिटीज़) हैं.
भारत पहले से ही लगभग चार करोड़ गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों को 12 तरह की बीमारियों से बचाने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी टीकाकरण योजना चलाता है. भारत के पास ऐसे वैक्सीन को स्टोर करने की भी बेहतर क्षमता है.
अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार भारत में कुल दो लाख 23 हज़ार नर्सें और दाइयों में से एक लाख 54 हज़ार नर्सों और दाइयों को इस योजना में शामिल किया जाएगा.
ये नर्सें और दाइयाँ कोरोना वैक्सीन को लोगों तक पहुँचाएंगी. इसके अलावा नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले आख़िरी साल के छात्रों को भी वॉलिंटयरशिप लिए आमंत्रित किया जाएगा.
मौजूदा 29 हज़ार कोल्ड-स्टोरेज को वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा क्योंकि ये वैक्सीन 2 डिग्री सेल्सियस से लेकर 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में ही रखी और वितरित की जा सकती हैं.
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया है कि भारत में -80 डिग्री तक के बेहद ठंडे कोल्ड-स्टोरेज भी उपलब्ध हैं, जो हरियाणा के पशु चिकित्सा और कृषि से जुड़े रिसर्च सेंटर में बनाए गए हैं.
एक बड़ा सवाल यह भी है कि जिन लोगों को वैक्सीन दी जाएगी उसके बाद उन पर पड़ने वाले असर को कैसे सरकार मॉनिटर करेगी?
ये सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल ही में सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन का इस्तेमाल करने के बाद एक वॉलंटियर ने यह दावा करते हुए कंपनी पर मुक़दमा दायर किया कि वैक्सीन लेने के बाद उनकी तबीयत ख़राब हो गई.
इसके जवाब में अधिकारी ने कहा, हमें पारदर्शी होना होगा और ऐसे साइड इफ़ेक्ट्स जैसे मामलों से सही तरीके से निपटना होगा. इसके लिए एक योजना तैयार भी की गई है.
नाम ज़ाहिर न किए जाने की की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि आने वाले कुछ हफ़्तों में वैक्सीन बनाने वाली कुछ कंपनियों को देश की दवा नियामक संस्था से वैक्सीन के अपातकालीन इस्तेमाल की इजाज़त मिल सकती है.
दो कंपनियों ने पहले ही वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की अर्ज़ी दे दी है और छह अन्य कंपनियाँ, वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के दौर में हैं.
भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के कुल मामले एक करोड़ तक पहुँचने वाले हैं और बीमारी की चपेट में आकर अब तक लगभग एक लाख 44 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है.
हालाँकि अब भारत में संक्रमण के नए मामलों में गिरावट आई है लेकिन ऐसे वक़्त में भी टीकाकरण की प्रक्रिया क्या होगी और ये किसे पहले मिलेगी इसकी विस्तृत योजना तैयार की गई है.
भारत के सीरम इंस्टीट्यूट और ब्रितानी फ़ार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राज़ेनेका के सहयोग से बनी कोविशील्ड वैक्सीन और कोवैक्सीन, जिसे भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने बनाया है, की ख़ूब चर्चा है.
दोनों ही वैक्सीन कंपनियों ने आपातकालीन इस्तेमाल के लिए आवेदन किया है.
इसके अलावा कुछ और वैक्सीन्स जो अभी ट्रायल के दौर में हैं:
ज़ाईकोव-डी. इसे अहमदाबाद की कंपनी ज़ाइडस कैडिला बना रही है.
हैदराबाद की कंपनी बायोलॉजिकल ई, एमआईटी के साथ मिलकर वैक्सीन तैयार कर रही है.
-HGCO19, पुणे की कंपनी जेनोवा, सिएटल की कंपनी एचडीटी बायोटेक कॉपरेशन के साथ मिलकर भारत की पहली mRNA वैक्सीन बना रही है.
-भारत बायोटेक की नज़ल वैक्सीन.
रूस के जेमेलिया नेशनल सेंटर और डॉक्टर रेड्डी लैब की ओर से तैयार की गई स्पुतनिक वी वैक्सीन.
अमरीका की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी नोवावाक्स और सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से तैयार की गई दूसरी वैक्सीन
ये भी पढ़ें: कोरोना वायरस: कोविड-19 से बचाने में विटामिन डी से नहीं मिलती मदद
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि इनमें से चार वैक्सीन पूरी तरह स्वदेशी हैं.
आधिकारी ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज़ भी किया जिनमें दावा किया जा रहा है कि भारत ने दुनिया भर की वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को लाखों ख़ुराकों का प्री-ऑर्डर दे दिया है.
उनका कहना था कि भारत में वैक्सीन का स्टॉक संतोषजनक मात्रा में उपलब्ध है.
अधिकारी ने यह भी बताया कि भारत सरकार कुछ स्थानीय और वैश्विक वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के संपर्क में थी ताकि उन्हें अपनी ज़रूरतें बताई जा सकें और उनकी उत्पादन की क्षमता के बारे में जाना जा सके.
उन्होंने कहा, सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक इन दो कंपनियों के पास मिलाकर एक महीने में 6.5 करोड़ ख़ुराक वैक्सीन बनाने की क्षमता है. अगर वैक्सीन कंपनियों को इजाज़त मिल जाती है तो भारत के पास वैक्सीन का बेहतर स्टॉक है.’’