चिंताजनक तथ्यः मध्य भारत में केवल 88 सारस शेष बचे

Friday 25 Jun 2021 राष्ट्रीय

पक्षियों की गणना में चिंताजनक खुलासा

 
गोंदिया, 25 जून (हि.स.)। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली सेवा संस्था के अध्यक्ष सावन बाहेकर ने बताया कि इस वर्ष की पक्षी गणना में सारस पक्षी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। अवैध शिकार के चलते मध्य भारत में महज 88 सारस पक्षी शेष बचे हैं। महाराष्ट्र के भंडारा, गोंदिया और पड़ोसी मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में यह पक्षी पाया जाता है। बाहेकर ने बताया कि अवैध शिकार के कारण भारत में सारस विलुप्त होने के कगार पर हैं। 2000 में भारत में सारस की केवल 4 जोड़ी बची थी। सारस पूरे महाराष्ट्र में गोंदिया और जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में पाया जाता है। सारसों की संख्या के अनुसार मध्य भारत में 88 सारस पक्षी पाए गए। यह चिंता की बात है। सेवा संस्था के अध्यक्ष ने कहा कि सारसों के संरक्षण के लिए किसानों और गैर सरकारी संगठनों के साथ प्रशासनिक स्तर पर विशेष प्रयास करने की जरूरत है। पक्षी गणना के बारे में विस्तार से जानकारी मुहय्या कराते हुए बाहेकर ने कहा कि उनकी संस्था के माध्यम से मध्य प्रदेश के गोंदिया, भंडारा और बालाघाट जिलों में क्रेन की गिनती की जाती है। इस वर्ष के सर्वेक्षण में गोंदिया जिले में 39, भंडारा जिले में 2 और मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में 47 सारस दर्ज किए गए। बतौर बाहेकर इस साल 13 से 18 जून तक हुई जनगणना के दौरान रोजाना सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक 70 से 80 जगहों की गिनती और निगरानी की गई। गोंदिया जिले के लिए 23, बालाघाट के लिए 18 और भंडारा के लिए 4 टीमें बनाई गईं थी। बाहेकर ने बताया कि सारस के प्रजनन का मौसम आमतौर पर जुलाई से अगस्त तक होता है। खास बात यह है कि सारस धान के खेत में घोंसला बनाकर उसमें अंडे देता है। सारस खेत में अंडे देने से भी किसान को लाभ पहुंचाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अनाज पर कोई रोग नहीं होता है क्योंकि इसे खेत में विभिन्न कीटों द्वारा खाया जाता है। यह कीटनाशकों पर पैसे भी बचाता है। महाराष्ट्र में गोंदिया जिला पक्षियों के लिए जाना जाता है। वर्ष 2018 में जिले में 34 सारस थे। 2019 में यह संख्या 44 से बढ़कर 2020 में 46 हो गई है, जबकि इस साल 2021 में यह नाटकीय रूप से घटकर 39 सारस हो गई है। काफी बड़े होते हैं सारस के अंडे बकौल बाहेकर सारस की लंबाई पैर के नाखूनों से लेकर चोंच तक कम से कम साढ़े पांच से छह फीट होती है। पंख फैलाए तो 14 से 16 फीट चौड़े होते है । वह धान के खेतों में अपना घर बनाता है और कम से कम तीन से चार किलो वजन के अंडे देता है। बाहेकर ने बाताया कि अन्य पंछियों में मादा पंछी अंडे उबाती है लेकिन सारस पक्षी के बारे में यह नियम उलटा है। अंडे देने के बाद मादा सारस आराम से विचरण करती है और नर पक्षी अंडे उबाने का काम करता है। एक ही साथी के साथ सहजीवन सारस का उल्लेख रामायण सहित अन्य प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। सारस हमेशा जोड़े में रहता है और घूमता है। एक सारस जो अपने साथी के प्रति वफादार होता है, वह अपने साथी को तब तक नहीं छोड़ता जब तक वह मर नहीं जाता। यदि दोनों में से एक की मृत्यु हो जाती है तो दूसरा भोजन और पानी का त्याग करके मर जाता है। शिकार के कारण घटी संख्या सावन बाहेकर ने कहा कि इलाके के किसान इस मौसम में धान पर कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं। यह कीटनाशक सारस के लिए घातक है। नतीजतन, हर साल कम से कम सारस के चार से पांच चूजों की मौत हो जाती है। साथ ही जहर, बिजली के झटके और अवैध शिकार के कारण इन पक्षीयो कि संख्या घट रही है। बाहेकर ने कहा कि पर्यावरण प्रेमी और किसानों के सारस के संरक्षण के लिए और अधिक सहयोग करने की जरूरत है।

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