अस्पतालों को ऑक्सीजन न देना अपराधिक कृत्य ही नहीं नरसंहार - हाईकोर्ट

Wednesday 05 May 2021 राष्ट्रीय

लखनऊ व मेरठ डीएम से ऑक्सीजन की कमी से मौत पर जांच रिपोर्ट तलब

 
प्रयागराज, 05 मई (हि.स)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में कोरोना संक्रमण के चलते अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति न करने को लेकर कहा कि यह न केवल आपराधिक कृत्य है, बल्कि ऐसा करना नरसंहार से कम नहीं हैं। हाईकोर्ट ने कहा ऐसी मौतों की जवाबदेही ऑक्सीजन आपूर्ति करने वालों की है। कोर्ट ने कहा मेडिकल साइंस इतना आगे है कि हम हार्ट ट्रांसप्लांट कर रहे हैं। ब्रेन आपरेट कर रहे। और दूसरी तरफ आक्सीजन की कमी से मौत हो जा रही है। कोर्ट ने कहा कि सामान्यतया कोर्ट सोसल मीडिया की खबरों पर ध्यान नहीं देती, किन्तु इस खबर का समर्थन वकीलों ने भी किया है कि प्रदेश में कई जिलों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न हो सकने के चलते लखनऊ व मेरठ में मौतें हुईं हैं। कोर्ट ने कहा कि इसके सुधार के लिये तुरंत कदम उठाये जाय। कोर्ट ने लखनऊ व मेरठ के जिलाधिकारी को ऑक्सीजन की कमी से मौत की खबरो की 48 घंटे में जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने तथा जवाबदेही तय करने का निर्देश दिया है। कहा कि केस की सुनवाई के दौरान दोनों जिलों के डीएम वर्चुअल सुनवाई के समय उपस्थित रहेंगे। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पंचायत चुनाव मतगणना की सीसीटीवी के साये में करने के निर्देश और कोविड 19 गाइडलाइंस के पालन के निर्देश पर राज्य चुनाव आयोग को 8 जिलों की मतगणना का सीसीटीवी फुटेज पेश करने का निर्देश दिया है। कहा कि लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, गाजियाबाद मेरठ, गौतमबुद्ध नगर व आगरा जिले की पंचायत चुनाव के मतगणना के दौरान की सीसीटीवी फुटेज 7 मई को पेश किया जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने दिया है। यही नहीं कोर्ट ने हाईकोर्ट के कार्यरत जज की लखनऊ के एसजीपीजीआई में हुई मौत का भी संज्ञान लिया है और उनके इलाज की रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि जस्टिस वी के श्रीवास्तव 23 अप्रैल को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती हुए। शाम 7:30 बजे तक उनका ठीक से देखभाल नहीं किया गया। उन्हें लखनऊ एसजीपीजीआई में शिफ्ट किया गया, जहां उनकी मौत हो गयी। कोर्ट ने जस्टिस श्रीवास्तव के इलाज से सम्बन्धित रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इस जनहित याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट अब 7 मई को करेगी। केस की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने पक्ष रखा और कहा कि सरकार इस कोरोना महामारी संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए सप्ताहांत दो दिन के लाकडाउन की अवधि को और बढ़ा दिया है। बताया गया कि मरीजों की अधिक से अधिक टेस्टिंग की जा रही है। उन्हें इलाज की समुचित व्यवस्था कराने के शासन के आदेश का हर जिलों में अनुपालन कराया जा रहा है।

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