सिख प्रचारक बाबा राम सिंह ने ख़ुदकुशी की, दाहसंस्कार शुक्रवार को

Thursday 17 Dec 2020 राष्ट्रीय

किसानों के लिये कुछ न कर पाने से दुखी थे

 
बुधवार शाम को सिंघु बॉर्डर पर 65 वर्षीय सिख प्रचारक राम सिंह सिंघड़ा ने कथित तौर पर ख़ुद को गोली मार ली. इसके बाद उनकी मौत हो गई. वे हरियाणा के करनाल ज़िले के एक गाँव सिंघड़ा के थे. उनके शारीर को करनाल के नानकसर गुरुद्वारा में रखा गया है जहां शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार होगा. गुरूद्वारे में भारी संख्या में उनके अनुयायी जमा हो रहे हैं और इसे देखते हुए वहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. समाचार एजेंसी के अनुसार बाबा हाथ से पंजाबी में लिखी एक पर्ची मिली है जो बताया जा रहा है कि मृतक की लिखी इस पर्ची में लिखा है कि वो किसानों के दर्द को सहन नहीं कर पा रहे है. पुलिस ने इस पर्ची मिलने की बात की पुष्टि कर दी है . मृतक के साथी जोगा सिंह ने बताया कि उन्होंने ख़ुद को गोली मार ली थी. जोगा सिंह ने कहा कि वे दूसरी बार धरना स्थल पर गए थे. वे किसानों की परेशानी को देखकर काफ़ी दुखी थे. सिंघड़ा गाँव के सरपंच नवदीप सिंह ने बताया कि बाबा राम सिंह के बड़ी संख्या में समर्थक थे और वो गुरद्वारे में ही रहते थे. उन्होंने बताया, "वे लगातार दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डर पर धरने के लिए जा रहे थे और किसानों के चल रहे इस संघर्ष को लेकर काफ़ी दुखी थे." पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने घटना पर दुख जताते हुए कहा कि सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के संघर्ष के दौरान संत राम सिंह जी की ये ख़बर हैरान कर देने वाली है. वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर लिखा कि संत बाबा राम सिंह जी की खुदकुशी की ख़बर बहुत दुख की बात है. हमारे किसान केवल अपना हक़ माँग रहे हैं, सरकार को उनकी बातें सुननी चाहिए और तीनों काले क़ानूनों को वापस ले लेना चाहिए. अकाली दल ने भी राम सिंह की मौत पर दुख ज़ाहिर किया है. अकाली दल से जुड़े दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि राम सिंह की मौत ने सभी को झकझोर दिया है. वहीं राम सिंह की मौत के लिए सरकारी उदासीनता को ज़िम्मेदार ठहराते हुए विपक्षी नेता राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को तुरंत क़ानून रद्द करने चाहिए.

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