राम प्रसाद ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों को कर रहे हैं कोराना के प्रति जागरूक
भोपाल, 13 जून (हि.स.)। कोरोना वायरस के वैश्विक संक्रमण के इस दौर में जब बात भारत के संदर्भ में तीसरी लहर के आने की हो रही हो, तब ऐसे में एक ही उपाय बचता है, सचेत रहें, जागरूक रहें और हर हाल में कोरोना को अपने एवं अपने परिवार से दूर करने के लिए चिकित्सकों एवं वैज्ञानिकों द्वारा बताए उपायों के साथ भारत सरकार व राज्य सरकारों की समय-समय पर आनेवाली गाइडलाइन का पालन करें।
गीत देते हैं हमें प्रेरणा
इसी क्रम में यह भी महत्व रखता है कि समाज जीवन में जो जिस हुनर से कोरोना को लेकर सचेत कर सकता है वह करता रहे। इस दिशा में देखने में भी आ रहा है कि कई स्तरों पर कार्य हो रहा है। यहां ऐसे ही एक जागरण के प्रयास का जिक्र किया जा रहा है। यह जन चेतना जगाने का काम हो रहा है गीत शैली को माध्यम बनाकर । वैसे भी यह सभी जानते हैं कि गीत फिर फिल्मी हों या देश भक्ति के वे हमें सदैव संवेदना के स्तर पर भाव धारा को सतत प्रभावित करते हैं। बन्ना-बन्नी के गीत हों या नव वधु के गृह प्रवेश अथवा गोद भराई की रस्म के बीच गानेवाले गीत । हर गीत अपने आप में एक उत्साह है तो एक संदेश भी । इसलिए इसे आधार बनाकर मध्य प्रदेश के कटनी के एक गांव से शुरूकर इस धारा को गांव-गांव पहुंचाने का काम आज एक लोक कलाकार अपने लिखे गीतों के माध्यम से कर रहा है।
रामप्रसाद गोंटिया का यह अंदाज आ रहा सभी को पसंद
दरअसल, लोकगीत रचनाकार रामप्रसाद गोंटिया कोरोना से लड़ाई जीतने के लिये टीकाकरण अपनाना जरुरी है का यहां सन्देश देने वाले अहम माध्यम बनकर सामने आए हैं। वे जिले भर के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी कला के माध्यम से सतत कोरोना को लेकर जागृति ला रहे हैं। उनकी एक विशेषता बताएं कि वे अब तक साक्षरता, स्वच्छता, पानी रोको अभियान सहित विभिन्न अभियानों के लिये गीत लिख चुके हैं। अब उन्होंने कोरोना टीकाकरण के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से तीन गीतों की रचना की है। वे स्वयं मनरेगा के तहत चल रहे कार्यों के स्थलों पर जाकर मजदूरों को भी अपने प्रेरक गीतों के माध्यम से टीकाकरण के प्रति प्रेरित कर रहे हैं।
इस प्रकार किया लोक गीतकार ने अपना अनुभव साझा
अपने अनुभव साझा करते हुये लोक गीतकार रामप्रसाद कहते हैं कि वे भी कोरोनो संक्रमण से ग्रसित हो चुके हैं। जिसके बाद जिला अस्पताल में उन्होंने अपना उपचार कराया । कुछ दिनों के आराम के बाद उन्होंने अपने परिजनों, साथियों और ग्रामवासियों को कोरोना के प्रति सतर्कता बरतने और इससे बचाव के लिये टीकाकरण कराने के लिये प्रेरित करने का संकल्प लिया। इसके लिये उन्होने अपनी शब्द साधना को ही अपना हथियार बनाया और फिर तीन गीतों की रचना हुई । जिसे वे अब ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर जगह-जगह आमजन को सुना रहे हैं, और उन्हें टीकाकरण का महत्व बता रहे हैं।
राम प्रसाद का लिखा यह गीत लोग कर रहे हैं पसंद-
बस इतना ही कहना था, यह सब से हमारा
सुन लो भाई-बहना, भ्रम ना कोई रखना
18 से ऊपर को दोनो डोज हैं लगना
तभी सुरक्षित हो, घर परिवार हमारा
अब तक उनकी प्रेरणा से अनेक लोग लगवा चुके टीका
रामप्रसाद बताते हैं कि कोरोना से पूर्ण रुप से स्वस्थ्य होने के बाद मैंने यह पहला गीत लिखा था। इस गीत में टीकाकरण के महत्व की जानकारी और उससे होने वाले लाभ का महत्व बताया गया है। वे आगे कोविड अनुकूल व्यवहार पर आधारित भी लिख रहे हैं। गोंटिया बताते हैं कि उनकी ग्राम पंचायत में अब तक 598 लोगों ने कोरोना का टीका लगवा लिया है। गांव के युवा भी टीका लगवाने के लिये प्रेरित हुये हैं।
कोरोना जागरण के लिए समाज के हर व्यक्ति को खड़ा होने की जरूरत
गीतकार साथ में यह भी कहते हैं कि रामप्रसाद ने ठाना है अपने गांव को कोरोना मुक्त बनाना है। इसलिये सबको कोरोना का टीका लगवाने के लिए प्रेरित करने का मेरा यह छोटा सा प्रयास है । वे कहते हैं कि समाज के लिये आज बेहद जरुरी है कि हर व्यक्ति एक दूसरे को, जिन्हें वह कोरोना टीका का महत्व बता सकता है, बताये। समाज की रक्षा के लिये और अपने परिवार की रक्षा के लिये टीकाकरण बेहद जरुरी है। इस कार्य में जब एक छोटे से गांव में रहने के बाद मैं आगे आ सकता हूं, तब अन्य भी इस प्रकार की मुहीम में आगे आएं, अपने घर, अपने गांव और अपने मोहल्ले को बचाने के लिये। तभी हम कोरोना की तीसरी लहर आने की जो बात कही जा रही है, उससे अपने क्षेत्र को बचा पाएंगे।