भिक्षु को सर्वोच्च सम्मान देने कुशीनगर आयेंगे पांच देशों के राजनयिक

Friday 04 Jun 2021 राष्ट्रीय

म्यांमार,थाईलैंड, कम्बोडिया, लाओस व सिंगापुर एक मंच पर

 
कुशीनगर, 04 जून (हि.स.)। वयोवृद्ध बौद्ध धर्मगुरु भदन्त ज्ञानेश्वर के प्रस्तावित सम्मान समारोह में पांच देशों के राजनयिकों ने आगमन की सहमति दी है। समारोह में भिक्षु को म्यांमार का सर्वोच्च सम्मान दिया जाएगा। कार्यक्रम के लिए तिथि तय करने विमर्श शुरू हो गया है। कार्यक्रम में म्यांमार मेजबान की भूमिका में होगा। थाईलैंड, कम्बोडिया, लाओस व सिंगापुर राजनयिक मेहमान की भूमिका निभायेंगे। दरअसल, म्यांमार सरकार ने चार जनवरी को बौद्ध धर्म गुरु को म्यांमार के सर्वोच्च विशिष्ट धार्मिक उपाधि अभिधजा महारथागुरु देने की घोषणा की थी। वैश्विक महामारी कोरोना के समाप्त होते ही अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर में पांच एशियाई बौद्ध देशों के राजदूत आएंगे। वे म्यांमार बुद्ध मंदिर कुशीनगर में आयोजित कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष एबी ज्ञानेश्वर के सम्मान समारोह में शामिल होंगे। एबी ज्ञानेश्वर को इसी वर्ष चार जनवरी को म्यांमार के स्वतंत्रता दिवस पर वहां की सरकार ने विशिष्ट धार्मिक उपाधि अभिधम्मा महारथा गुरु देने की घोषणा की थी। लेकिन म्यांमार में तख्तापलट और उसके बाद कोविड-19 संक्रमण के कारण वहां समारोह आयोजित नहीं हो सका। अब दिल्ली स्थित म्यांमार के राजदूत मोचो ऑंग उपाधि लेकर भंते ज्ञानेश्वर को प्रदान करने कुशीनगर आएंगे। म्यांमार से उपाधि दिल्ली स्थित म्यांमार दूतावास में पहुंच चुकी है। म्यांमार के कांसुलेट के साथ थाईलैंड, कम्बोडिया, लाओस व सिंगापुर के राजदूत को भी आने के लिए आमंत्रित किया गया है। बौद्ध धर्म गुरु ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि दिल्ली स्थित म्यांमार राजदूत मोचो ऑंग वार्ता हुई है। कोविड 19 संक्रमण के दौर के बाद कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। चार विशिष्ट धार्मिक पाने वाले पहले भारतीय बौद्ध भिक्षु म्यांमार सरकार द्वारा धार्मिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले बौद्ध भिक्षुओं को प्रतिवर्ष विशिष्ट उपाधि देने की परम्परा है। उसी क्रम में एबी ज्ञानेश्वर को म्यांमार सरकार ने इस वर्ष अभिधजा महारथा गुरु की विशिष्ट उपाधि देने की घोषणा की है। इसके पूर्व ज्ञानेश्वर को वहां की सरकार से वर्ष 1997 में अग्गमहापण्डित,2005 में अग्गमहासधम्मा जोतिका और 2016 में अभिधज्जा अग्गमहा सधम्माजोतिका नामक धार्मिक उपाधि देकर सम्मानित कर चुकी है। ज्ञानेश्वर चार विशिष्ट सम्मान पाने वाले पहले बौद्ध भिक्षु हैं।

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